बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

बेटी तो सदा दिल का अरमान होती है !!!

बेटी बाबुल के दिल का टुकड़ा भैया की मुस्कान होती है,
आँगन की चिड़िया माँ की परछाईं घर की शान होती है !
..
खुशियों के पँख लगे होते हैं उसको घर के हर कोने में
रखती है अपनी निशानियां जो उसकी पहचान होती हैं !
..
माँ की दुलारी पापा की लाडली भैया की नखरीली वो
रूठती झगड़ती इतराती हुई करुणा की खान होती है !
..
भाई की राखी दूज का टीका मीलों दूर होकर भी जब
वो सजल नयनों से भेजकर हर्षाये तो सम्मान होती है !
..
संध्या वंदन कर एक दिया आँगन की तुलसी पे रखती,
मानो ना मानो बेटी तो सदा दिल का अरमान होती है !




5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. बहुत सुंदर ! वात्सल्य भाव से ओतप्रोत रचना..

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (23-02-2017) को "त्योहारों की रीत" (चर्चा अंक-2890) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....