तुम सम्बन्धों को समझते हो
तभी तो सारी मुश्किलों को
हँसते हँसते हल करते हो !
...
वैभव से कहा था तुमने
अभिमान मत करो
खुद पर ...
जिस दिन धरा या गगन
अभिमान कर लेंगे
तुम्हें सर छिपाने के लिए
एक कण नसीब नहीं होगा
शानों-शौक़त सब धरे रह जायेंगे !!
....
मानव का सम्बन्ध
प्रकृति से हो या अपनों से
निश्छल होकर ही
इस जीवन की विरासत को
संवारा जा सकता है !!!
तभी तो सारी मुश्किलों को
हँसते हँसते हल करते हो !
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वैभव से कहा था तुमने
अभिमान मत करो
खुद पर ...
जिस दिन धरा या गगन
अभिमान कर लेंगे
तुम्हें सर छिपाने के लिए
एक कण नसीब नहीं होगा
शानों-शौक़त सब धरे रह जायेंगे !!
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मानव का सम्बन्ध
प्रकृति से हो या अपनों से
निश्छल होकर ही
इस जीवन की विरासत को
संवारा जा सकता है !!!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका .....
हटाएंबहुत सुन्दर ..,
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका ..... सादर
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया..।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक अभिव्यक्ति...
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