बुधवार, 18 मई 2011
भुलाना चाहोगे ....
तुम मुझसे दूर जाकर जाने क्या सुकून पाओगे,
जितना भुलाना चाहोगे उतना ही करीब पाओगे ।
अश्कों का सौदा हो गया दिल से वरना ज़ख्म,
दिखाता तुम्हें तो यूं छोड़ के जा भी ना पाओगे ।
हंसते-हंसते मैने तुम्हें रूख्सत किया है जब भी,
रोये हैं हम तेरी याद में ये तो कह ना पाओगे ।
सिमट गया हर लम्हा तेरी चाहत की कैद मे,
मुझको इल्जाम यूं सरेआम दे तो न पाओगे ।
वक्त की साजि़शों का शिकार जब भी होते तुम,
मुझे कुसूरवार अपना सदा कह तो ना पाओगे ।
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
behatreen rachana.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
इलज़ाम देकर भी क्या होगा
जवाब देंहटाएंसच को अन्दर से न मिटा पाओगे
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
जवाब देंहटाएंजितना भूलना चाहोगे
जवाब देंहटाएंउतना ही याद आयेंगे
बहुत सुन्दर ....
कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर …………मन को छूती अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लिखती हैं आप... आपकी यह कविता भी लाजवाब है...
जवाब देंहटाएंachchha laga , badhaayi
जवाब देंहटाएं"जितना भूलना चाहोगे उतना ही करीब पाओगे"
जवाब देंहटाएंअजी भूलना ही कौन चाहता है
ये तो सब उपरी दिखावा है
और पास आने का बहाना है
लाजवाब ....
आभार
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव संयोजन्।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति जो दिल को छूती है.
जवाब देंहटाएंBeautiful creation Sada ji . Enjoyed reading.
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगी यह रचना हमको!
जवाब देंहटाएंसिमट गया हर लम्हा तेरी चाहत की कैद में
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर ....बेहद भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया कविता।
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com/
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