पूछा मैने खामोशी से,
तुम यूं ही चुपचाप सी क्या सोचती हो
वो बोली मैं सिर्फ दिखने में
खामोश रहती हूं ......
मेरी बोली सुनता मेरा अन्तर्मन
पढ़ता है गुजरे पलों को
संजोता है वो
उन यादों को
जिनसे मैं बेहद प्यार करती हूं
संवार लेती हूं
यदा-कदा आहत मन को भी
कभी फटकार भी देती हूं इसे
जब यह विचलित होता है
मैं उन्हें भी समझती हूं
जो मुझसे प्यार करते हैं
और खामोश रहकर
उन्हें भी देखती हूं
जो मुझसे ईर्ष्या भाव रखते हैं
मेरी सफलता पर
ताने कसते हैं ....
तुम्हें घुटन नहीं होती ...?
इस तरह खामोशी के साथ
एक मुस्कान लाई लबों पर वो
फिर बोली
अरे यह तो मेरा सम्बल है
वर्ना मैं तो
कब की अस्तित्वहीन
हो चुकी होती
इसने मुझे शब्दों के हथियार दिये
जीने के लिये हौसला दिया
ये खामोशी नहीं ...
मेरी बोली है ...
जिसे हर कोई नहीं समझ पाता
और मुझसे अपनी सफाई में
सबसे हर वक्त कुछ
वाह खामोशी को जुबां दे दी।
जवाब देंहटाएंper kai baar sochti hun kya hua jo ise bhi samjha use bhi samjha ... apne hisse to khamoshi hai n
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha vandan ji ne
जवाब देंहटाएंkhamoshi ko jubaan de di aapne
ख़ामोशी की 'सदा' सुनना बहुत अच्छा लगा.आपके शब्दों के हथियार धारदार हैं ,जो गहराई तक वार करते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शानदार प्रस्तुति के लिए.
boltee khaamoshee achchhee hai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शानदार प्रस्तुति के लिए|
जवाब देंहटाएंखामोशी को भी शब्द दे दिए आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा पढ़ कर.
सादर
खामोशी पर इतना मुखर संवाद।
जवाब देंहटाएंkhamoshee ko aapne shavd de mukhrit kar diya.......
जवाब देंहटाएंaabhar
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंमौन को अंतर्मन ही सुनता है ...खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंWah! Behad pyaree rachana!
जवाब देंहटाएंमौन को अंतर्मन ही सुनता है कबी कभी मौन बहुत मुखर हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंये खमोशी नहीं मेरी बोली है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
मौन जब कुछ कहता है तो कुहराम भी सुनने को आतुर हो जाता है
जवाब देंहटाएंख़ामोशी के हज़ार रंग , सदा जी के संग . मब अह्वलादित हुआ .
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
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बेहद उम्दा प्रस्तुति………खामोशी को आवाज़ दे दी।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावित करती रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
वाह ! जी,
जवाब देंहटाएंइस कविता का तो जवाब नहीं !
विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
जिसे हर कोई नहीं समझ पाता
जवाब देंहटाएंऔर मुझसे अपनी सफाई में
सबसे हर वक्त कुछ
कहा भी नहीं जाता .... !!
खामोशी बहुत कुछ कहती है ..
ख़ामोशी की 'सदा' सुन दिल हुआ निहाल जी.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार खामोशी को आवाज देने के लिए.
ख़ामोशी भी कुछ कहती है, आपने बढ़िया लिखा .
जवाब देंहटाएंprabhaavshali shabdoN ke maadhyam se
जवाब देंहटाएंkhaamoshi ko
khoobsurat aawaaz de di aapne
ख़ामोशी कि ये अदा हमें प्यारी लगी
जवाब देंहटाएंबिन बोले जो लाठी चली वो न्यारी लगी
सच है क्लहामोशी की अपनी ज़ुबान होती है ... लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावित करती रचना| बधाई|
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साह भरी टिप्पणी और हौसला अफजाही के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने ! बहुत खूबसूरती से ख़ामोशी का वर्णन किया है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!
प्रभावशाली रचना! शुभकामनायें आपको ! !
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