सोमवार, 18 अप्रैल 2011

मेरी देह अधूरी है ....












ये सच है
मेरी देह अधूरी है
पर मेरी आत्‍मा पूरी है
इसमें भी वैसे ही सपने बसते हैं
जैसे किसी सक्षम व्‍यक्ति के होते हैं
मेरे लिये बैसाखियां भी सहारा नहीं बनी
मुझे हांथों से ही सारा काम करना होता है
खाना भी बनाती हूं, चलती भी हूं, इन्‍हीं हांथों से
पर आश्रित नहीं हूं मैं किसी की
मेरी ही तरह स्‍वाभिमानी हैं वो भी साथी मेरे
जो चलते हैं बैसाखियों के सहारे
या अंधेरा है जिनके जीवन में जन्‍म से
फिर भी एक ऊर्जा है जीवन में कुछ कर गुजरने की
जाने क्‍यों लोग हम पर तरस खाते हैं,










सच कहूं तो .... हमें दया से
आगे बढ़ने की प्रेरणा नहीं मिलती ....
हम पल दो पल के लिए दिशाविहीन हो जाते हैं
लोगों के परोपकार से,
पर दूसरे ही पल फिर तैयार हो जाते हैं
ईश्‍वर ने जो हमें अधूरी देह के साथ इस धरा पर भेजा है
हम उसकी कभी शिकायत नहीं करते
आगे बढ़ने का हौसला कायम रखते हैं
निराशा के पलों मे
आंसुओं की बूंदों से आशा के मोती सहेजती
हमारी हथेलियां कुछ कर गुज़रने की चाहत में
स्‍वयं ही पोछती हैं अश्‍को को
मंजिल की तलाश में हमारे कदम
स्‍वयं ही आगे बढ़ते जाते हैं .....
हम आधी-अधूरी जिन्‍दगी से
पूरे जीवन को सच्‍चाई से जीते जाते हैं .....!!

31 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय सदा जी
    नमस्कार !
    ...मेरी देह अधूरी है ..
    अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है
    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

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  2. विकलांगों के मनोभावों को बहुत अच्छे से उभारा है आपने.

    सादर

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  3. सच कहूं तो ....हमें दया से
    आगे बढ़ने की प्रेरणा नही मिलती
    हम पल दो पल के लिए दिशाविहीन हो जाते हैं .....
    बहूऊऊत खूब ...आपकी देह भले अधूरी हो..आपको अधूरा समझने को भूल करने वाला तो ना आधा होगा ना अधूरा ..आपको वंदन है सदा जी !!

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  4. सच्ची और अर्थक रचना ...ऐसे लोग दया नहीं प्रेरणा के लिए प्रोत्साहन चाहते हैं ..

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  5. पूरी सच्चाई से जीना प्रारम्भ कर दें तो कोई समस्या नहीं।

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  6. शानदार,प्रेरणापूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
    हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ.

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  7. बहुत सुन्दर और भावप्रणव रचना!
    भगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!
    आपका ब्लॉग बहुत देर में खुलता है।
    अनावश्यक विजेट हटा दीजिए न!
    मुख्य तो पोस्ट ही होती है।

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  8. बहुत सुंदर .....देह अधूरी है .....आत्मा पूरी है.....खूब कहा ....

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  9. जिजीविषा बनी रहे तो हर राह आसान है . सुँदर रचना .

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  10. जब तक देह में आत्‍मा होती है वह अधूरी नहीं हो सकती।

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  11. देह अधूरी आत्मा पूरी यही है विकलांगों का सच । उन्हें दया नही समझने की जरूरत है ।

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  12. आधी-अधूरी जिंदगी को पूरी तरह जीने की न केवल कामना रखनेवाले बल्कि उसे अपने ढंग से जीनेवाले लोगों पर यह रचना प्रभावशाली है।

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  13. देह अधूरी कैसी होगी जब आत्मा का प्रकाश साथ है सुन्दर रचना

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  14. बहुत अच्छी रचना । जीने का जज़्बा हो तो कोई पंगुता रोड़े नहीं अटका सकती ।

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  15. sada ji
    bahut sateek avam hagan yathartata liye ek bhavpurn rachna.
    sach hai ki hamaadhe -adhure sapno ko inhi palo me ji jaaye to behatar hai aane wale samay ka to koi bahrosa hi nahi
    fir ham har pal ko khushhiyon ki jholi me samet le.
    bahad bhav -pravan abhivykti
    bahut bahut badhai
    sada jivilmb se post karne ke liye xhma chahati hun
    karan aap jaanti hi hai .
    mujhe purn vishwas hai ki aap is deri ke liye mujhe hriday se xhma karengi.
    dhanyvaad sahit
    poonam

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  16. aadhe adhoore shareer se jee gayee poori jindagi...sarthak aur prerak jeevan...

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  17. सच्ची और अर्थक रचना|धन्यवाद|

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  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  19. Aise log doosron ko prerna dete ahin ... kisi ke daya ke paatr nahi ... bemisal rachna hai ..

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  20. ek bahut hi prerak kavita , dil ko chooti hui aur ek naya sabak bhi deti hui,,,,,,

    dhanywaad

    badhayi .

    मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html

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