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बदल जाती हर सुबह
एक कली की जिंदगी,
वह खिलकर फूल बन जाती
कभी वह चढ़ा दी जाती
किसी देवता के चरणों में
कभी चढ़ा दी जाती
अर्थी पे
कहीं उसकी खुश्बू से
महक उठता
घर का कोना-कोना
कभी किसी के बालों का
श्रृंगार हो जाती
इक सुबह आती ऐसी भी
उतार दी जाती
देवता के चरणों से
बिखर जाती किसी के जुल्फों में
सजी उसकी पंखड़ी
और अंत हो जाता उसका
सदा के लिए !!