वो जाने क्यों
होने लगी कमजोर
मुहब्बत का उस पर
असर होने लगा,
सामने होने पर
जिसको न देखा
नजर उठा के,
निगाहें
उसके आने का
रस्ता तकने लगी
बातें करती सांसे आपस में
जब तेज-तेज
वह खुद की
हालत से डरने लगी
कैसे बता पाएगी
इन पलों की सरगोशियां
ख्यालों के तसव्वुर
पे उस अजनबी चेहरे का छा जाना
हौले-हौले होठों का कंपकपाना
छिपा के हथेलियों में चेहरा
फिर मुस्कराना,
जैसे एक जिन्दगी
का जीकर हर पल खुशी-खुशी
गुजर जाना ।