शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

मन का मौसम !!!!

इन बेचैनियों को
सुकून तेरे साथ से मिलता है
दूरियों को ये बातें
मैं कैसे समझाऊं भला !
...
उदास शाम की क्यारी में
मैंने रोप दिया है पौधा
रात की रानी का
जब भी इसके क़रीब से गुजरोगे
मन का मौसम बदल जायेगा !!!
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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....