तुम सम्बन्धों को समझते हो
तभी तो सारी मुश्किलों को
हँसते हँसते हल करते हो !
...
वैभव से कहा था तुमने
अभिमान मत करो
खुद पर ...
जिस दिन धरा या गगन
अभिमान कर लेंगे
तुम्हें सर छिपाने के लिए
एक कण नसीब नहीं होगा
शानों-शौक़त सब धरे रह जायेंगे !!
....
मानव का सम्बन्ध
प्रकृति से हो या अपनों से
निश्छल होकर ही
इस जीवन की विरासत को
संवारा जा सकता है !!!
तभी तो सारी मुश्किलों को
हँसते हँसते हल करते हो !
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वैभव से कहा था तुमने
अभिमान मत करो
खुद पर ...
जिस दिन धरा या गगन
अभिमान कर लेंगे
तुम्हें सर छिपाने के लिए
एक कण नसीब नहीं होगा
शानों-शौक़त सब धरे रह जायेंगे !!
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मानव का सम्बन्ध
प्रकृति से हो या अपनों से
निश्छल होकर ही
इस जीवन की विरासत को
संवारा जा सकता है !!!