बड़ी बरक़त देखी
मैंने माँ की दुआओं में
मुड़-मुड़ कर पलटती रहीं
जब भी मुश्किलें
माँ अपनी हथेली
मेरे सर रख देती !!
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बड़ी बरक़त देखी
मैंने माँ की दुआओं में
मुड़-मुड़ कर पलटती रहीं
जब भी मुश्किलें
माँ अपनी हथेली
मेरे सर रख देती !!
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तसल्ली भरे शब्दों के
चेहरों पर
मातम सा छाया देख
दुआओं की
पगडंडियों पर
साथ चल रही उम्मीद
कहती है ...
गुज़र जाएगा ये वक़्त
ईश्वर पर आस्था रखना
इस प्रार्थना के साथ
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
…
दबे पाँव आई अनहोनी
बड़ी ख़ामोशी से,
हुआ हादसा ..
कुछ ज़ख्म, कुछ खरोचें
कुछ मुंदी चोटें
गहरे काले निशानों के साथ
रक्तरंजित कर गईं
चेहरे को
यक़ीन के परे का एक सच
ये कह गया चुपके से कानों में
समय का मरहम
मिटा देगा हर ज़ख्म का निशान !!!
…
आँसू बहाये, पाँव भी पटके
बड़ी देर तक
ठुनकती भी रहीं
पर मुझसे दूर न हुईं
इनको भुलाने की फ़नकारी में
मैं माहिर न हो सकी
चाह कर भी .....
टूटता नहीं, रिश्ता मेरा
इन ज़िद्दी यादों से !!!
....
ज़िंदगी की चाय में
उबाल देना
सारे रंजो-ग़म
अनबन की गाँठ वाली अदरक को,
कूट-पीटकर डाल देना
जिसका तीखा सा स्वाद भी
बड़ा भला लगेगा,
मिठास के लिए
ज़रा सा अपनापन
डालते ही
जायकेदार चाय
पिला सकोगे
अपने अपनो को !!!
...