मंगलवार, 28 जुलाई 2020
रविवार, 19 जुलाई 2020
साधना जानती है वो !!!
शब्दों को साधना
जानती है वो,
किस शब्द को
कब कहाँ जगह देनी है
बख़ूबी पता भी है..
कठोर से कठोर
ज़िद्दी से ज़िद्दी शब्द,
सब उसके एक इशारे पे
नतमस्तक हो जाते हैं,
सफ़ेद कागज़ पर
काला लिबास
सारे के सारे शांत !
…
प्रत्येक पंक्ति में ..
अपने अर्थों से परिचित होकर भी,
सारे शब्द,साथ-साथ
जानती है वो,
किस शब्द को
कब कहाँ जगह देनी है
बख़ूबी पता भी है..
कठोर से कठोर
ज़िद्दी से ज़िद्दी शब्द,
सब उसके एक इशारे पे
नतमस्तक हो जाते हैं,
सफ़ेद कागज़ पर
काला लिबास
सारे के सारे शांत !
…
प्रत्येक पंक्ति में ..
अपने अर्थों से परिचित होकर भी,
सारे शब्द,साथ-साथ
सामंजस्य बिठा लेते हैं
कमज़ोर हैं कुछ तो कुशल भी
बहुत हैं, कुछ दिव्यांग भी
तो कुछ अज्ञानी भी
विस्मृत मत होना ..
इसी कतार में
दम्भी और त्यागी,
रागी और बैरागी सभी हैं..
दम्भी और त्यागी,
रागी और बैरागी सभी हैं..
बिना किसी द्वेष भाव के,
फ़िर फ़िक्र कैसी ?
…
साधना कला है
और प्रेम उन सभी कलाओं को
खुद में आत्मसात करने का
सबसे बड़ा गुण है
जो सारे अवगुणों पर अंकुश
लगाने में सिध्दहस्त है !!!!
….
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....