शुक्रवार, 25 मई 2012

इनका आज़ाद होना मुश्किल है ... !!!













तुम्‍हें मैने बांध लिया है बंधन में
शब्‍दों से उन भावनाओं पर
जड़ दिया है स्‍नेह का ताला
उसकी चाबी को उछाल दिया है
आसमान में .. कहां है वो किसे मिली
अ‍नभिज्ञ हूँ मैं भी तुम्‍हारी तरह
तुम सोचती होगी
यह बंधन भी कोई बंधन है
जब चाहे तुम आज़ाद हो जाओगी
...
ये भावनाओं में बंधे शब्‍द
स्‍नेह के ताले में बंद चाबी खो जाने पर
कैद होकर भी खुश हैं
तुमने ही कहा था न
शब्‍दों और भावनाओं का रिश्‍ता
बिल्‍कुल वैसा होता है
जैसे मां की गर्भनाल से शिशु का
भावनाएं बांधती रहती हैं
शब्‍द दर शब्‍द आत्‍मा को विचारों से
सहेजती रहती हैं रिश्‍तों को
ख्‍याल रखती हैं इनके पोषण में
कोई कमी न आए
कोई शब्‍द टूटकर बिखर न जाए
किसी कमजोर पल में
.....
वैसे ही मेरा तुम्‍हारा बंधन है स्‍नेह का
भावनाओं के रंग बिखेर 
इन्‍हें बांध रखा है रूह से
इस कदर कि
अब इनका आज़ाद होना मुश्किल है ...

22 टिप्‍पणियां:

  1. ....
    वैसे ही मेरा तुम्‍हारा बंधन है स्‍नेह का
    भावनाओं के रंग बिखेर
    इन्‍हें बांध रखा है रूह से

    इतना सुंदर बंधन हो तो कौन आज़ाद होना चाहेगा .... खूबसूरत रचना

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  2. सच कहा सदा जी स्नेह का बंधन अनुपम होता है जिसे कोई तोड़ नही सकता....बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति...

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  3. वैसे ही मेरा तुम्‍हारा बंधन है स्‍नेह का
    भावनाओं के रंग बिखेर
    इन्‍हें बांध रखा है रूह से
    इस कदर कि
    अब इनका आज़ाद होना मुश्किल है ... आपने सही कहा,,,,,,,,

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

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  4. बहुत सुन्‍दर रचाना है
    मेरा द्वारा लिखी पोस्‍ट यूनिक तकनीकी ब्‍लाग

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  5. स्नेह के बंधन ही तो मजबूत होते हैं।

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  6. वैसे ही मेरा तुम्‍हारा बंधन है स्‍नेह का
    भावनाओं के रंग बिखेर
    इन्‍हें बांध रखा है रूह से
    इस कदर कि
    अब इनका आज़ाद होना मुश्किल है ...
    bahut khubsurat ahsas, badhai itni sunder prastuti ke liye

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  7. sda aapke bhav sda hi sdayen dete haen or in sdaon se kon aajad hona chahega.sundar rachna.

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  8. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.....

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  9. bahut sundar bhaavpoorn abhivyakti.
    padhkar bhaav vibhor ho gaya hai man

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  10. स्नेह-बंधन न हो तो जीवन भटक जाता है -बहुत आश्वस्तिदायी रचना !

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  11. प्रेम के बन्धन गहरे बाँधते हैं..

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  12. स्नेह के इस बंधन से कौन आज़ाद होना चाहेगा.. बहुत खूब सदा जी!!

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  13. कोमल भावनाओं का बंधन बहुतक दृढ़ और कठोर हो जाता है.

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  14. वैसे ही मेरा तुम्‍हारा बंधन है स्‍नेह का
    भावनाओं के रंग बिखेर
    इन्‍हें बांध रखा है रूह से

    Behad Sunder....

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  15. भावनाओ का रीश्ता बहुत गहरा होता है
    बहुत ही सुन्दर भावप्रद रचना:-)

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  16. लाज़वाब ...इस बंधन को तोड़ना आसान नहीं !!!

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  17. इस बन्धन से कोई आज़ाद होना भी नही चाहेगा....ये नेह बन्धन अकाट्य है
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
    आभार

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  18. भावनाएं बांधती रहती हैं
    शब्‍द दर शब्‍द आत्‍मा को विचारों से
    सहेजती रहती हैं रिश्‍तों को

    ......सच है भावनाएं सहेजती रहती हैं रिश्तों को...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

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