तुम मेरा ही अंश हो,
आओ तुमको बतलाऊं,
तुम्हें तुम्हारे बारे में
मेरी धड़कनों से तुम्हें
हवा मिलने लगी है
तुम्हारा वजूद
अस्तित्व में आ रहा है,
तुम्हें मेरे द्वारा
लिये गये आहार के सहारे
खुद को जीवित रखना है,
धीरे:धीरे तुम्हारी आकृति
स्पष्ट हो जाएगी,
इसके बाद तुम
हिलने-डुलने लगोगे,
यदि मैं कभी भूखी रहूंगी
तो तुम भी बेचैन होगे,
तुम्हारा ध्यान मैं
पल-प्रतिपल रखूंगी
बिना यह सोचे
तुम पुत्र हो या पुत्री,
रंग तुम्हारा
श्वेत होगा या श्याम,
बस इतना चाहती हूं,
तुम जन्म लो स्वस्थ्य
तुम्हारे बढ़ते आकार के साथ
मैं तुम्हें दिन-प्रतिदिन
दे सकूं सही दिशा
तुम जोड़ सको सबके दिलों को
मिटा सको दूरियों को
तोड़ने से पहले तुम जोड़ना सीख लो
ताकि तुमसे जब कुछ टूटे
तो तुम्हें अहसास हो उसकी टूटन का
फिर चाहे वह ....
रिस्ता हो / उम्मीद हो /ख्वाहिश हो ....
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन पंक्तियों में
जवाब देंहटाएंBehad samvedansheel rachana...! Wah!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एहसास.... के साथ... मन को छू लेने वाली कविता....
जवाब देंहटाएंआपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
एहसासों को जैसे जी लिया हो....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंगहरे शब्द.... दूर की बात .... मन के भाव सहज ही काग़ज़ पर उतार दिए आपने ....
जवाब देंहटाएंतोडने से पहले जोडना सीख लो
जवाब देंहटाएंताकि जब तुम से कुछ टोटे
तो तुम्हे एहसास हो उस टूटन का।
अदाजी बहुत गहरे भाव हैं इन पँक्तियों मे सुन्दर रचना। बधाई आपको।
बहुत ही सुन्दर और कोमल एहसास के साथ आपने भावपूर्ण रचना लिखा है! बेहद पसंद आया!
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai itnee sunder rachana ko janm dene kee.............
जवाब देंहटाएंabhivykti spasht aur gahara arth liye thee.........
ati sunder .
सदा जी धड़कनों में पनपते इस वजूद की शुभकामनाएं ......!!
जवाब देंहटाएंजिसके इतने सदविचार हों वो जोड़ना तो कोख से ही सीख कर आएगा ......!!
bahut hi sundar blog swagat hai
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