शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

ऐसा क्‍यों होता है .....?














(1)

घनी पलकों की छाव में

सुन्‍दरता बढ़ जाती

नयनों की

इन पलकों की छांव का

एक बाल टूटकर

जब डूब जाता

नयनों के प्‍याले में

कितनी चुभन होती

जब तक निकल न जाता

आंख से ....!

(2)

ऐसे ही कुछ रिश्‍ते

भी हो जाते हैं

जिनसे कभी

जीवन महक जाता है

कभी कुछ रिश्‍ते

हो जाते हैं ऐसे

जो चुभने लगते हैं

उनकी चुभन

से जीवन की सारी

खुशियां छिन जाती हैं

ऐसा क्‍यों होता है ....

जिन के बिना

हम कभी

एक पल

रह नहीं पाते

फिर किसी मोड़ पर

उसी से

बच के निकल जाते हैं ....!!

आज मेरी यह 100वीं पोस्‍ट आप सबके सामने है,

इधर कुछ दिनों से आप सब के बीच नहीं पहुंच सकी

इसी खेद के साथ सदा ....


21 टिप्‍पणियां:

  1. sabse pahle 100 vi post ki hardik badhayi.........aur bahut hi sundar rachna likhi hai.

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति
    बधाई ................

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  3. इस ज्ञान वर्धक पोस्ट के लिए
    आभार

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  4. सबसे पहले तो सौवीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई....

    प्रस्तुत रचना ने मन मोह लिया..... बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.....



    Regards...

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  5. भावपूर्ण रचना के साथ शानदार शतक की बधाई

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  6. 100 vi post par bahut badhaai .... bahut hi ahem sawaal hain is rachna mein ...bahut achhaa likha hai .. jeevan ka saty likha hai ...

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  7. bahut bahut badhai . ha aisa kabhee kabhee hota hai .......rishte ektarafa nahee nibhate.....iseliye apanee hee taraf se kamee hue hai ye man se nikal deejiye ....chubhan fir kum ho jaegee...........
    talee do hath se hee bajatee hai........
    pahalee walee kavita bhee bahut sunder hai........
    Fir se 100th post ke liye dero badhai..........

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  8. १०० वीं पोस्ट के लिए बधाई.....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...रिश्तों को बताती हुई..

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  9. सर्वप्रथम तो 100वीं पोस्ट की बधाई.
    रिश्तों को उकेरती यह रचना बेहद प्रासंगिक है. वाकई रिश्ते जब चुभते हैं तो असीम तिलमिलाहट होती है
    बहुत सुन्दर रचना

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  10. प्रस्तुत रचना ने मन मोह लिया..... बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.....

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  11. सौवी पोस्ट पूरे होने पर हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
    बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! बढ़िया लगा!

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  12. पहले तो 100वीं पोस्ट के लिये बधाई स्वीकार करें । आपकी कमी खल रही थी। रचना बहुत अच्छी लगी
    इन पलकों की छांव का

    एक बाल टूटकर

    जब डूब जाता

    नयनों के प्‍याले में

    कितनी चुभन होती
    हर चीज़ मे सुख और दुख दोनो होते हैं यही तो जीवन है। शुभकामनायें

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  13. क्यों होता है …इस पर तो बहुत सोचना पडेगा ……और हजारों जवाब निथर कर आयेगें ……..लेकिन जिसलिए भी होता है ……बहुत कठिन होता है ……बहुत ही !!!!!!!!!

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  14. सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

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