हसरतों के समन्दर में जब - तब,
एक नई हसरत जन्म लेती रही ।
चुपके से उसको बहला दिया मैने जब,
देख बेबसी मेरी वो भी दफन होती रही ।
घुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
पल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
लुटा दिया उसने यूं तबस्सुम का खजाना,
खोखली हंसी से खुद ही आहत होती रही ।
चुरा लिये जिन्दगी ने हर हंसी पल उसके,
फिर भी ‘ सदा' वो उसकी बन्दगी करती रही ।
bahut hi khoobsoorat ahsaas........sach zindagi kabhi kabhi sab kuch chura leti hai..............adbhut,dil ko choo gayi aapki rachna.
जवाब देंहटाएंघुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
जवाब देंहटाएंपल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
लुटा दिया उसने यूं तबस्सुम का खजाना,
खोखली हंसी से खुद ही आहत होती रही ।
ehsason ko bahut achhe se piroya hai lafzon mein sunder rachana badhai
चुरा लिये जिन्दगी ने हर हंसी पल उसके,
जवाब देंहटाएंफिर भी ‘ सदा' वो उसकी बन्दगी करती रही ।
अदभुत!सुंदर। मनोभाव।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार o9-08 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... लंबे ब्रेक के बाद .
घुटन, दर्द, आंसू भी उसके न हुये जब,
जवाब देंहटाएंपल- पल वो पराई खुद से होती रही ।
हृदयस्पर्शी ..
मन को छू गयी ...
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