मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

कुछ टूटने से पहले ....

उसने मुझसे इक दिन
भीगी आँखों से कहा
ये मुहब्‍बत भी
बहुत बुरी शय होती है
किसी और की खबर
रखते-रखते
खुद से बेखबर हो जाती है
...

कुछ टूटने से पहले
आवाज हो
ये जरूरी तो नहीं
तुमने देखा तो होगा
फूलों का खिलना
और बिखर जाना चुपके से!!!
....

35 टिप्‍पणियां:

  1. मुहब्बत ने सच ही
    खुद से बेखबर कर दिया
    जब दिल टूटा तो
    उसकी कुछ खबर भी न हुई ॥

    बेहतरीन क्षणिकाएं

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  2. उतर गयीं दिल के भीतर...
    आपकी ये पंक्तियाँ भी...

    चुपके से...

    ~सादर!!!

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  3. फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से...
    --------------------------
    मन की गहराइयों में उतरती पंक्तियाँ ...लाजवाब ...

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  4. मुहब्बत की शय ही ऐसी है,बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.किसी ने कहा है...

    किसी को प्यार इतना देना की हद न रहे !
    पर ऐतबार भी इतना करना की शक न रहे !!
    वफ़ा इतना करना की बेवफाई न रहे !
    और दुवा इतना करना की जुदाई न रहे !!

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  5. कुछ टूटने से पहले
    आवाज हो
    ये जरूरी तो नहीं
    तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!
    बहुत सुंदर ...शुभकामनायें

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  6. फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!

    बहुत बडी बात कह दी आपने……

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  7. मन की गहराइयों से निकली
    मन की गहराइयों तक पहुंचती
    बहुत ही सुन्दर रचना...

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  8. टूटने के पहले अजब शान्ति होती है।

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  9. कुछ टूटने से पहले
    आवाज हो
    ये जरूरी तो नहीं
    तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!भाव पूर्ण पंक्तियाँ,,,

    Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग

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  10. तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!

    खूब ..... बहुत ही गहरी बात

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  11. बहुत खूबसूरत और गहरे अहसास

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  12. ज़िंदगी का शायद यही फलसफा है जिस तरह खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती। उसी तरह दिल के टूटने पर भी कोई आवाज नहीं होती। यही कारण है शायद कि अक्सर खिले हुए चहरों के पीछे छिपी हुई गहरी खामोशियान होती हैं।

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  13. कुछ टूटने से पहले
    आवाज हो
    ये जरूरी तो नहीं
    तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!

    बहुत खूब ... निःशब्द हूं इस अभिव्यक्ति पर ...
    दिल के टूटने का गम याद आ गया ...

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  14. बेआवाज टुटन के किरचे बहुत चुभते हैं...सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  15. कुछ टूटने से पहले
    आवाज हो
    ये जरूरी तो नहीं
    तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!!!
    ....शायद इसलिए फूलों की तुलना दिल से होती है ...उनके भी टूटने की आवाज़ जो नहीं होती ...बहुत खूब सदाजी .....!!!

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  16. कुछ टूटने से पहले
    आवाज हो
    ये जरूरी तो नहीं
    तुमने देखा तो होगा
    फूलों का खिलना
    और बिखर जाना चुपके से!

    प्यार में टूटने से आवाज कहाँ होती है और दिल बिखरता भी इस कदर है की समेटे नहीं सिमटता

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  17. फूलों की तरह दिल भी बेआवाज़ टूटती है. भावपूर्ण रचना, बधाई.

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  18. Kuch panktiyon me hi mohabbat ke har rang ko prastut kiya hai aapne..
    bahut khub...

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  19. Hum khud se door shi par tmhe zndgi k hr rang mein pte h ,mohabat ka yhi dastoor is bahane hr lmha tmhe jee jte h....

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  20. दिल के टूटने की भी आवाज़ कहाँ आती है .
    कृपया शह/शै कर लें एक शह शतरंज वाली शै है .बढ़िया प्रस्तुति .

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  21. वाह...
    बहुत सुन्दर.....
    सिसकते फूल देखें हैं कभी???

    सस्नेह
    अनु

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  22. बहुत सुन्दर और गहन भी ...सीधे ह्रदय तक पहुंचती बात सदा जी ....!!

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  23. उसने मुझसे इक दिन
    भीगी आँखों से कहा
    ये मुहब्‍बत भी
    बहुत बुरी शय होती है
    किसी और की खबर
    रखते-रखते
    खुद से बेखबर हो जाती है------

    प्रेम का महीन अहसास
    गजब

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  24. बहुत सुन्दर लेखन | पढ़कर आनंद आया | आशा है आप अपने लेखन से ऐसे ही हमे कृतार्थ करते रहेंगे | आभार


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