बुधवार, 30 मई 2012

ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)














आज मेरे पास कुछ लम्‍हे हैं
जिन्‍हें सौंपना चाहती हूँ
तुम्‍हें साधिकार
भविष्‍य के लिए मानो तो
जब कभी मुझे
जरूरत होगी उन कीमती लम्‍हों की
तुम उन्‍हें मुझे दुगना कर दे सको
बोलो उन लम्‍हों को
सुरक्षित करना चाहोगे
अपनी जिन्‍दगी के बैंक में
कुछ बाते हैं मुस्‍कराहटों की
कुछ हँसी है बेतकल्‍लुफ़ सी
कुछ चाहते जिनमें है
अपनों का ख्‍याल
कुछ तसल्लियों के साथ
थोड़ा सा प्‍यार भी :)
....
छोटी - छोटी आशाएं
ये होगा तो हम ऐसा करेंगे
वो होगा तो फिर
ऐसा हो जाएगा
इन्‍हें चालू खाते में रहने देना
जरूरत के हिसाब से
जमा करना और निकालना
चलता रहेगा
तुम समय की पासबुक पर
हर इंट्री दर्ज जरूर करना
भूल चूक लेनी देनी
यहां नहीं चलता
जो भूल गया
उसका तो नुकसान हो जाएगा
याद रखकर भी क्‍या होगा
उसका सबूत कहां मिलेगा
आजकल मन भी
वक्‍़त और हालात देखकर
कब बदल जाए भरोसा नहीं रहता
हर लम्‍हे के बचत का ब्‍याज
मन को बहुत सुकून देता है
मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)

29 टिप्‍पणियां:

  1. मन को बहुत सुकून देता है
    मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :) आपने सही कहा ,,,,,

    सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

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  2. बहुत बहुत सुंदर सदा.........................

    आपकी सभी रचनाओं में इसको मैं शायद अपनी सबसे पसंदीदा रचनाओं में एक कह सकती हूँ....
    बहुत प्यारी भावनाएं छिपी हैं ....

    सस्नेह

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  3. मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)... koi shak nahi

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  4. तुम समय की पासबुक पर
    हर इंट्री दर्ज जरूर करना
    भूल चूक लेनी देनी
    यहां नहीं चलता

    बहुत सुन्दर .....खूबसूरत रचना ....

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  5. वक्‍़त और हालात देखकर
    कब बदल जाए भरोसा नहीं रहता
    हर लम्‍हे के बचत का ब्‍याज
    मन को बहुत सुकून देता है
    मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है

    खूबसूरत रचना

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  6. छोटी-छोटी बचतों वाला प्रेम का बचत और चालू खाता और प्रेम का महाजनी स्वरूप- 'मूलधन से ब्याज़ प्यारा'. चूक नहीं चलेगी, ब्याज़ आते रहना चाहिए का भाव गंभीर है. लेकिन कविता के गंभीर स्वरूप के बावजूद मुस्कराहट रुकी नहीं.

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  7. आजकल मन भी
    वक्‍़त और हालात देखकर
    कब बदल जाए भरोसा नहीं रहता
    हर लम्‍हे के बचत का ब्‍याज
    मन को बहुत सुकून देता है
    मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)
    Hamesha badee sahajta se gazab kee baaten kah jatee hain aap!

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  8. हर लम्‍हे के बचत का ब्‍याज
    मन को बहुत सुकून देता है
    मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)

    ....बिलकुल सही..गहन भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  9. ब्याज हर दिन के साथ बढ़ता जो जाता है।

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  10. नए ही अंदाज की रचना.... बहुत सुंदर....
    सादर।

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  11. Nice post , Nice comments.

    आपने सारी वस्तु- स्थिति से परिचय भी करवा दिया ,
    Aabhar!

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  12. मूलधन से ब्‍याज हमेशा प्‍यारा होता है :)………वाह कितना खूबसूरत ख्याल है और उतनी ही खूबसूरती से बांधा है।

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  13. जीवन के लम्हों के निवेश का बड़ा अच्छा हिसाब खाता बनाया है सदा जी.. :)

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  14. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति.........

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  15. तुम समय की पासबुक पर
    हर इंट्री दर्ज जरूर करना
    भूल चूक लेनी देनी
    यहां नहीं चलता
    जो भूल गया
    उसका तो नुकसान हो जाएगा
    याद रखकर भी क्‍या होगा
    उसका सबूत कहां मिलेगा
    आजकल मन भी
    वक्‍़त और हालात देखकर
    कब बदल जाए भरोसा नहीं रहता
    बहुत सुन्दर ..सच है बड़े नाजुक क्षण हैं आज ....भ्रमर ५

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  16. ब्याज हर दिन बढ़ता जाता है प्यारा तो होगा ही

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  17. कुछ नया सा है इस कविता में...
    भावनाएँ बहुत कोमल पर गहन भी...
    आभार !!

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  18. रचना का आधार आज के मानवीय विचार में छिपा है।

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  19. ब्याज के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया..हार्दिक शुभकामनाएं..

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  20. जो भूल गया
    उसका तो नुकसान हो जाएगा
    याद रखकर भी क्‍या होगा
    उसका सबूत कहां मिलेगा
    आजकल मन भी
    वक्‍़त और हालात देखकर
    कब बदल जाए भरोसा नहीं रहता

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ ।

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  21. नए बिम्ब में बाँधा है समय और लम्हों के हिसाब कों ...
    बहुत सुन्दर रचना ..

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  22. एक कहावत है न.. मूल से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है...बहुत सुन्दर सशक्त रचना...सदा जी..

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  23. सरल शब्दों में गहन भाव व्यक्त कर गयी आप इस बार सदा जी :-) बहुत ही सुंदर एवं सार्थक रचना ...

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  24. छोटी - छोटी आशाएं
    ये होगा तो हम ऐसा करेंगे
    वो होगा तो फिर
    ऐसा हो जाएगा
    इन्‍हें चालू खाते में रहने देना
    जरूरत के हिसाब से
    जमा करना और निकालना
    चलता रहेगा
    बहुत खूब...

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