बुधवार, 18 जनवरी 2012

प्‍यार जिन्‍दगी से ....!!!














जब भी कोई कमज़ोरी
परिस्थिति का शिकार होती है तो
सहानुभूति साथ होती है
लेकिन  कमज़ोरी को मोहरा बनाकर
उसका फायदा उठाते लोगों की नज़र से
बच पाना ...
किसी के आंख में कांटे की तरह चुभना
फिर चाहत रखना दिल में
सम्‍मान की कुर्सी पर वह तुम्‍हें
सुसज्जित कर देगा
बेहद नागवार चाहत है यह तो  ...
क्‍या करे ये चाहत चीज़ ही ऐसी है
हमेशा उसी चीज़ के लिए लालायित होती है
जो खुद से दूर होती है
जो पास में होता है उसके लिए
वह हमेशा ही बेपरवाह हो जाती है
आखि़र क्‍यूं ?
ये चाहतें ये मुरव्‍वतें
इतनी बेपरवाह हुआ करती हैं
कि इनके लिए हमेशा
दूर के ढोल ही सुहाने होते हैं ...
प्‍यार जिन्‍दगी से !
जाने क्‍यूँ हर एक को होता है
जन्‍म से लेकर मृत्‍यु तक की अवधि
जिन्‍दगी नाम से अपनी
पहचान क़ायम रखती है
जिसमें तन सुन्‍दर हो तो
जरूरी नहीं कि
मन की सुन्‍दरता भी हो
बस भावना नेक हो
हृदय में यह अहसास बना रहे
जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
हर हाल में खुश रहें
और दूसरों को भी रहने दें ...
क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????

29 टिप्‍पणियां:

  1. क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????

    हर हाल में खुश रह कहाँ रह पाते है हम ...जब हसरतें खींच लेतीं हैं मन को .... ...अगर हसरतों की कश्ती को किनारे पर आने की चाह न हो तो सिर्फ भटकन है जीवन ....सार्थक प्रस्तुति...

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  2. जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
    इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें

    सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना

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  3. क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????
    इस एक कविता में जीवन का पूरा आख्यान लिख दिया आपने....सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए

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    उत्तर
    1. जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
      इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
      हर हाल में खुश रहें
      और दूसरों को भी रहने दें ...
      क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
      मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????
      Behad sundar bhaav hain!

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  4. जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
    इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
    हर हाल में खुश रहें
    और दूसरों को भी रहने दें ...
    क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....???? है तो ... पर समझा जाए तब ! और समझ भी एक के होने से क्या होता है !

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  5. जीवन में सचेत रहना आवश्यक है ,
    विशवास में ही विशवास घात होता है
    सकारात्मक सोच जीवन में राम बाण जैसा काम करता है
    नकारात्मक सोच ज़हर के सामान होता है
    अच्छे ख्याल ,सलाम

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  6. जिंदगी जिंदादिली का नाम है........
    सार्थक संदेश देती प्रेरक रचना।

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  7. बहुत सुंदर,
    आपको पढना वाकई अच्छा लगता है।

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  8. बहुत सुन्दर सदा जी...
    जिंदगी कभी अपेक्षाओं की वजह से दर्द देती है...कभी उपेक्षाओं की ...
    मन का खेल है सारा...

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  9. खुश रहने के ढेर बहाने,
    फिर भी उसने पत्थर ताने..

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  10. सार्थक संदेश देती प्रेरक रचना।

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  11. क्‍या करे ये चाहत चीज़ ही ऐसी है
    हमेशा उसी चीज़ के लिए लालायित होती है
    जो खुद से दूर होती है
    जो पास में होता है उसके लिए
    वह हमेशा ही बेपरवाह हो जाती है

    बहुत गहन सत्य है यह.......शानदार |

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  12. वाह ....सुन्दर सीख देती हुई संदर रचना

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  13. जन्‍म से लेकर मृत्‍यु तक की अवधि
    जिन्‍दगी नाम से अपनी
    पहचान क़ायम रखती है
    जिसमें तन सुन्‍दर हो तो
    जरूरी नहीं कि
    मन की सुन्‍दरता भी हो
    बस भावना नेक हो
    सुन्दर रचना है ज़िन्दगी के करीब ज़िन्दगी से साक्षात करती हुई .

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  14. bahut hi sundar avm gambhir chaintan ke sath .....sadar abhar Sada ji .

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  15. जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
    इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
    हर हाल में खुश रहें
    और दूसरों को भी रहने दें ...
    बहुत सुंदर भाव!

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  16. बहुत सुंदर भाव पूर्ण प्रस्तुति,बेहतरीन पोस्ट
    welcome to new post...वाह रे मंहगाई

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  17. क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????
    बहुत है,सुंदर है...

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  18. जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
    इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
    हर हाल में खुश रहें
    और दूसरों को भी रहने दें ...
    क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं ....????
    बिल्कुल हैं अगर कोई समझे तो …………

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  19. नहीं,यह भाव काफी नहीं है क्योंकि ज़िंदगी सिर्फ एक बार नहीं मिलती। फिर मिलेगी,क्योंकि हमारा कर्मबंध ही ऐसा है!

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  20. इस छोटी सी जिंदगी में .......

    कद्र बदलेंगी .यकीं बदलेंगे ,तुम बदलोगें
    अंधरे में भी उजाले के दीये जला करंगे ||...अनु

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  21. क्या करें चाहत को लालच की अम्मा पेड़े जो देती है।जिन्‍दगी सिर्फ एक बार मिलती है
    इसे परिस्थितियों का दास नहीं बनने दें
    हर हाल में खुश रहें
    और दूसरों को भी रहने दें ...
    क्‍या ये भाव जिन्‍दगी को
    मुस्‍कान देने के लिए काफ़ी नहीं हैं
    मगर यह कहने की बाते हैं जो किताबों में अच्छी लगती है बहुत कम लोग ही अपना पाते है इन्हें जीवन में क्यूंकि यदि यही जीवन का सच होता तो शायद सभी ज़िंदगी में एक स्वर्ग ज़रूर होता।

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  22. किसी के आंख में कांटे की तरह चुभना
    फिर चाहत रखना दिल में
    सम्‍मान की कुर्सी पर वह तुम्‍हें
    सुसज्जित कर देगा
    बेहद नागवार चाहत है यह तो ..
    इसलिये शुरू से हि अपने आचरण में सत्यता एवं प्रेम भाव रखना चाहिये
    मन में कभी दुसरो के लिये द्वेष ना हो ...तो सम्मान कि कुर्सी आसनी से प्राप्त हो जाती है..
    बहूत हि बेहतरीन सार्थक एवं सटीक प्रस्तुती है...

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  23. सही कहा आपने ....खुश रहो ......यही इक मूलमंत्र है सफलता का....
    बधाई ...
    मेरी नयी कविता तो नहीं उस जैसी पंक्तियाँ "जोश "पढने के लिए मेरे ब्लॉग पे आयें...
    http://dilkikashmakash.blogspot.com/

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  24. खुश रहना एक आदत है जो हर हाल में ज़रूरी है. सुंदर रचना.

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  25. मन सुंदर नहीं तो तो कुछ नहीं....
    बढ़िया अभिव्यक्ति !

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