तुम तक पहुंचने के लिए
मुझे बस
कुछ कदमों का
फासला तय करना था
लेकिन कभी
वक्त ने साथ नहीं दिया
कभी दिल न इजाजत नहीं दी ...
........................
मैने हालातों को
वक्त के हवाले कर दिया है
इसलिए जो है जैसा है
उसे वैसे ही रहने दो
हर घाव भर जाएगा
वक्त के मरहम से ....
........................
कठपुतलियों का खेल अब
गुजरे वक्त की बात हो गया
पर फिर भी लोग जाने क्यूं
कभी किसी के हाथ
सौंप देते हैं खुद को
या किसी को
बना लेते हैं अपने हाथों
की कठपुतली ....
sundar kavitaa
जवाब देंहटाएंye waqt kee baat hee to hai
jinhein kabhee dekhaa nahee
kabhee milaa nahee
jaanne lagaa
naye ahsaas se jeene lagaa
कठपुतलियों का खेल अब
जवाब देंहटाएंगुजरे वक्त की बात हो गया
पर फिर भी लोग जाने क्यूं
कभी किसी के हाथ
सौंप देते हैं खुद को
या किसी को
बना लेते हैं अपने हाथों
की कठपुतली ....
Bahut sundar...
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bahut sunder ..sada ji ..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात कही …………पता नही क्यो हम हमेशा दूसरे पर ही निर्भर करने लगते हैं…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकठपुतलियों का खेल अब
जवाब देंहटाएंगुजरे वक्त की बात हो गया
पर फिर भी लोग जाने क्यूं
कभी किसी के हाथ
सौंप देते हैं खुद को
या किसी को
बना लेते हैं अपने हाथों
की कठपुतली ....waah
क्षणिकाओं का ज़वाब नहीं !
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक !
समर्पण का आनन्द विश्वास में आता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता बधाई....
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट में स्वागत है
कठपुतलियों का खेल अब
जवाब देंहटाएंगुजरे वक्त की बात हो गया
पर फिर भी लोग जाने क्यूं
कभी किसी के हाथ
सौंप देते हैं खुद को
या किसी को
बना लेते हैं अपने हाथों
की कठपुतली ....
बहुत अच्छा प्रश्न उठाया है आपने।
सादर
कठपुतलियों के सहारे गहरा चिंतन....
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति....
सादर बधाई...
सदा,
जवाब देंहटाएंमैं आपकी इन पंक्तियों के बारे में सोच रहा हूँ ..
मैने हालातों को
वक्त के हवाले कर दिया है
इसलिए जो है जैसा है
उसे वैसे ही रहने दो
हर घाव भर जाएगा
वक्त के मरहम से ....
क्या ऐसा होता है सच में ?
बाकी तो पूरी कविता मन को छूती हुई गुजरती है ..
विजय
तुम तक पहुंचने के लिए
जवाब देंहटाएंमुझे बस
कुछ कदमों का
फासला तय करना था
लेकिन कभी
वक्त ने साथ नहीं दिया
कभी दिल न इजाजत नहीं दी ..
....बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
इसलिए जो है जैसा है
जवाब देंहटाएंउसे वैसे ही रहने दो
हर घाव भर जाएगा
वक्त के मरहम से ....
वाह...बेजोड़ भावाभिव्यक्ति...बधाई स्वीकारें
नीरज
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
मैने हालातों को
जवाब देंहटाएंवक्त के हवाले कर दिया है
इसलिए जो है जैसा है
उसे वैसे ही रहने दो
भावपूर्ण और सार्थक अभिव्यक्ति ...
निश्चित ही समय बड़े से बड़ा घाव भी भर देता है.भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंकठपुतली पर मालकियत जो होती है..
जवाब देंहटाएंकविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सम्वेदानुक्त
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक भाव समेटे बेह्तरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंमैने हालातों को
जवाब देंहटाएंवक्त के हवाले कर दिया है
इसलिए जो है जैसा है
उसे वैसे ही रहने दो
हर घाव भर जाएगा
वक्त के मरहम से ....
जिन्दगी का सच लिख दिया ...बिन बोले ...हर कोई अपने हिस्से की खामोश जिन्दगी जीये जा रहा है
जीवन का कटु सत्य है....खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंजिंदगी का सच...
जवाब देंहटाएंवक्त से बडा कोई नहीं....
सुंदर प्रस्तुति।
वक़्त ही सब करवाता है...!
जवाब देंहटाएंअत्यंत मार्मिक प्रस्त्तुति और सच्चाई को स्वीकार करने की सदाशयता. बधाई.
जवाब देंहटाएंमैने हालातों को
जवाब देंहटाएंवक्त के हवाले कर दिया है
इसलिए जो है जैसा है
उसे वैसे ही रहने दो
हर घाव भर जाएगा
वक्त के मरहम से ....
Pata nahee ghaav kabhee bharte bhee hain ya nahee....
वैसे तो यह दुनियाँ ही एक रंगमंच है। सभी कठपुतली हैं। अभिनय करते हैं। एक स्वप्न, जो टूटता है तो जाग पाते हैं हम।
जवाब देंहटाएंकल 05/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बिल्कुल सही बात कही बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत ...पोस्ट
शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
तीनों क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंजब न वक्त साथ दे और न दिल इजाज़त,तब स्वयं को वक्त की कठपुतली बनाने से ही सुनहरा भविष्य संभव। ओशो सिद्धार्थ कहते हैं-
जवाब देंहटाएंबहती हो जब प्रतिकूल हवा,तुम शांत बैठ जाओ कुछ पल।
जब हवा थमे,आगे चल दो,तेरी मुट्ठी में होगा कल।।
behtari prastuti....abhar
जवाब देंहटाएंवक्त बहुत बेरहम होता है ...कठपुतली बन कर कभी इंसान खुद नाचता है ..कभी न चाह कर भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... तीनों जबरदस्त ...
जवाब देंहटाएंये सच है कभी कभी छोटे छोटे फांसले सालों तक तय नहीं हो पाते ...
teeno apne aap me lajawaab hain. behad khoobsoorat!!
जवाब देंहटाएंकठपुतली के खेल शायद इसी लिए लुप्त हो गए कि यह भूमिका इंसान ने संभाल ली है ....
जवाब देंहटाएंवक़्त के विभिन्न रूप अच्छे लगे
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकठपुतलियों का खेल अब
जवाब देंहटाएंगुजरे वक्त की बात हो गया
पर फिर भी लोग जाने क्यूं
कभी किसी के हाथ
सौंप देते हैं खुद को
या किसी को
बना लेते हैं अपने हाथों
की कठपुतली ....
शानदार......बेहतरीन........हैट्स ऑफ इसके लिए|
क्या कहूँ सदा जी :-) सार्थक एवं लाजवाब प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवक्त ने साथ नहीं दिया
जवाब देंहटाएंकभी दिल न इजाजत नहीं दी .....
कुछ था उनको गुमान
कुछ था हमें गरूर
दरम्या के ये फासले दूरियाँ बन के रह गए .....
वाह!!!सदा जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना अच्छी पोस्ट,,,,,
मेरे नए पोस्ट में स्वागत है,.....