सोमवार, 20 अप्रैल 2009

कोई मरहम नही रखता यहां . . . .

मुझसे पूछ तो मैं सच बतलाऊं तुझको लोगो के पास,
अपने दुख और दूसरों की ख़ुशियों का हिसाब होता है।

घाव पे किसी के कोई मरहम नही रखता यहां पर,
सब के पास बस अपने जख्मों का हिसाब होता है ।

कहने दे जिसे जो कहता है बुरा मत माना कर तू,
ऊपर वाला अच्छे-बुरे सबका हिसाब कर लेता है।

कोई किसी का खुदा नहीं होता मत डरा कर किसी से,
सबका मालिक तो एक है जो खुद हिसाब कर लेता है।

इंसान की फितरत है अच्छे दिन भूल जाता है अक्‍सर वो,
गर्दिश में जो दिन गुजरे ‘सदा' उनका हिसाब रख लेता है।

5 टिप्‍पणियां: