एक रिश्ता
जिसकी बुनियाद
बस मन ही होता है
उसकी नीव में
भरा होता है
संबंधों का गारा
जिसे बनाया गया होता है
अपनेपन के पानी से
एक निश्चित मात्रा
ना ठोस ना तरल
...
पानी की यही ख़ासियत है
जिसमे मिला दो
उस जैसा हो जाता है
रिश्ता मन का
पानी की पारदर्शिता लिये
जहाँ नमी हो
वो पौधे सूखा नहीं करते
ऐसा माँ कहती है 😉...........
जहाँ नमी हो वो पौधे सूखा नहीं करते ऐसा माँ कहती है
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति !!
पानी की यही ख़ासियत है
जवाब देंहटाएंजिसमे मिला दो
उस जैसा हो जाता है
वाह बहुत खूबसूरत।
रिश्ता मन का
जवाब देंहटाएंपानी की पारदर्शिता लिये
जहाँ नमी हो
वो पौधे सूखा नहीं करते
ऐसा माँ कहती है 😉...........
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
माँ झूठ भी कहाँ कहती है ...
जवाब देंहटाएंमन का रिश्ता कभी टूट नहीं पाता ... उसमें कोई कारण जो नहीं होता ... बस प्रेम होता है ...
माँ सदैव सत्य कहा करती हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन
वाह
जवाब देंहटाएंपानी की यही ख़ासियत है
जवाब देंहटाएंजिसमे मिला दो
उस जैसा हो जाता है
बेहतरीन..
सादर नमन..
वाह!गहरी बात कह गईंं आप सदा जी ।खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंएक रिश्ता
जवाब देंहटाएंजिसकी बुनियाद
बस मन ही होता है
उसकी नीव में
भरा होता है
संबंधों का गारा
जिसे बनाया गया होता है
अपनेपन के पानी से
अपनेपन के पानी से बना ये रिश्ता...
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन।
शाश्वत सत्य सा ...
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