वक़्त के पास
इन दिनों मुश्किलों की
लंबी कतार है …
नित नये संक्रमणों के साथ,
आँधी-पानी और तूफ़ान भी है !
…
कहती है उम्मीद तभी
कानों के पास आहिस्ता से,
डरकर भी लड़ी है, जंग कोई किसी ने
संभल कर चलो, हिम्मत बनो
किसी उदास मन को
एक मुस्कान देकर,
दुआओं के कुछ बोल सौंप दो
जिंदादिली से, देखना तुम
गुज़र जाएगा ये वक़्त,
तमाम मुश्किलों की
आँखों मे आँखे डालकर !!!
© सीमा 'सदा'
#उम्मीद
....
आमीन !
जवाब देंहटाएंहौसला और विश्वास दिलाती बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर ( 3034...रात की सियाही को उजाले से जोड़ोगे कैसे...?) गुरुवार 20 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह👌
जवाब देंहटाएंआशा से ही आकाश थमा है ,सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंजलते जंगल पर कुछ बरसातज्ञकी बौछार है ये आशा से भरी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन सीमा जी।
एक आशा की किरण लेकर आई यह रचना हौसला देती है आज की परिस्थिति का सामना करने का! आमीन!!
जवाब देंहटाएंआशाओं का दीप प्रज्ज्वलित करती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसकारात्मक भाव की उम्मीद जगाती रचना, बधाई.
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