शनिवार, 3 अगस्त 2019

दोस्त एक हो पर सच्चा हो !!!

तेरी बातों के गोलगप्पे
आज भी
मेरी ज़बान का ज़ायका
बदल देते हैं
खिलखिलाते लम्हों के बीच
वो मुस्कराती चटनी इमली की
अपनी यादों में
आज भी शामिल है
सच ही तो कहा करती थी माँ
दोस्त एक हो पर सच्चा हो
उम्रदराज़ भले हो जाओ
पर रहो ऐसे कि
जैसे कोई बच्चा हो !!
....

9 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहती थी माँ ...
    काश हम सब बच्चे रहते तो दोस्त भी बच्चे ही रहते ... समय ने सब बदल दिया ...

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  2. बहुत प्यारी भावनाओं को स्नेह के शब्दों में पिरोयी सुंदर अभिव्यक्ति दी।

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  3. "दोस्त एक हो पर सच्चा हो"
    आपकी रचना के सारे सुन्दर, अप्रतिम बिम्बों से परे यथार्थ को दर्शाती, अहसास कराती पंक्ति ... आभार आपका महोदया ... आज छदम् भीड़ की चाह रखने वाले लोगों के बीच ये संदेश दुहराने के लिए

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  4. सदा की भाँति अति सुंदर कहा है ।

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