पापा हथेली में जल लेकर
आपका ध्यान करती हूँ
तर्पण की हर बूँद का
मैं मान करती हूँ
कुछ बूँदे पलकों पे आकर
ठहर जाती हैं जब
तो आपका कहा
कानों में गूँजता है
बहादुर बच्चों की आँखों में
आँसू नहीं होते
उनकी आँखों में तो
बस चमक होती है
जीत की, उम्मीद की,
विश्वास की
एक हौसला होता है
उनके चेहरे पे
और मैं मुस्करा पड़ती थी!
...
पलकों पे ठहरी बूँदे
जाने-अंजाने
कितना कुछ कह गईं
आपका दिया मेरे पास
हौसला भी है
उम्मीद भी है और विश्वास भी
पर आपकी कमी
कौन पूरी कर सकता है
तो इस तर्पण की हथेली में
गंगा जल के साथ
छलका है जो अश्रु जल नयनों का
वो स्नेह है
आपकी अनमोल यादों का
जिसे मैने अपने सिर-माथे लिया है
और आपको अर्पित ही नहीं
समर्पित भी किया है अंजुरी का जल
बूँद-बूँद स्नेह मिश्रित
पूरी निष्ठा से इस पितृपक्ष में!!!
मार्मिक रचना,,,,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उत्तम रचना
सादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 05 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (05-10-2015) को "ममता के बदलते अर्थ" (चर्चा अंक-2119) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर।
जवाब देंहटाएंपितृपक्ष के समय में इससे बेहतर और कुछ नहीं हो सकता पढने को | सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी और भावपूर्ण...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना. पितृ पक्ष में कम से कम सब याद तो कर लेते है अपने भूले बिसरों को.
जवाब देंहटाएंदिल को छूती सुन्दर रचना.........
जवाब देंहटाएंपलकों पे ठहरी बूँदे जाने-अंजाने कितना कुछ कह गईं आपका दिया मेरे पास हौसला भी है उम्मीद भी है और विश्वास भी पर आपकी कमी कौन पूरी कर सकता है तो इस तर्पण की हथेली में गंगा जल के साथ छलका है जो अश्रु जल नयनों का वो स्नेह ----
जवाब देंहटाएंबेटे से अधिक महत्वपूर्ण है बेटी का तर्पण
वास्तविक तर्पण तो यही है ---
मन को नम करती अदभुत रचना
सादर
सुन्दर शब्द रचना......
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in
मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंआप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
भावपूर्ण ।
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब