मजबूत हैं मेरे इरादे,
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
किसी ने कुछ भी कहा हो
पर मैने खुद से कभी भी झूठ नहीं कहा
खुद को कभी भी मैने थपकी नहीं दी
झूठी तसल्ली की
विश्वास के साथ उठती रही रोज़
वैसे ही जैसे
प्रतिदिन निकलती थीं रश्मियाँ
सूरज के आने से पहले
...
नहीं डोलता था मेरा आत्मविश्वास जरा भी
इस बात को लेकर कि आज
हो जाने दो कुछ देर ... जरा ठहर कर ... अभी करती हूँ
इन शब्दों के अर्थों ने सदा विचलित किया मुझे
जब करना ही है तो देरी क्यूँ ... किस बात की
किस का है इन्तज़ार ...
मैने कहने से ज्यादा करने पे भरोसा किया
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
....
सच की लाठी, विश्वास की टेक
कदमों पे हौसला रख
गुजरी हर उस गली से मैं जहाँ झूठ चीखा था
कत्ल हुई थी उम्मीदें लहुलुहान थे सपने
या फिर न्याय होना बाकी था
बाकी थी पहचान किसी मैं की मुझसे
उन सबको दिशा दी, पहचान दी
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
फिर मैं एक मिसाल बनी
कितनों के जीवन की बुनियाद बनी
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
किसी ने कुछ भी कहा हो
पर मैने खुद से कभी भी झूठ नहीं कहा
खुद को कभी भी मैने थपकी नहीं दी
झूठी तसल्ली की
विश्वास के साथ उठती रही रोज़
वैसे ही जैसे
प्रतिदिन निकलती थीं रश्मियाँ
सूरज के आने से पहले
...
नहीं डोलता था मेरा आत्मविश्वास जरा भी
इस बात को लेकर कि आज
हो जाने दो कुछ देर ... जरा ठहर कर ... अभी करती हूँ
इन शब्दों के अर्थों ने सदा विचलित किया मुझे
जब करना ही है तो देरी क्यूँ ... किस बात की
किस का है इन्तज़ार ...
मैने कहने से ज्यादा करने पे भरोसा किया
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
....
सच की लाठी, विश्वास की टेक
कदमों पे हौसला रख
गुजरी हर उस गली से मैं जहाँ झूठ चीखा था
कत्ल हुई थी उम्मीदें लहुलुहान थे सपने
या फिर न्याय होना बाकी था
बाकी थी पहचान किसी मैं की मुझसे
उन सबको दिशा दी, पहचान दी
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
फिर मैं एक मिसाल बनी
कितनों के जीवन की बुनियाद बनी
व्यक्तित्व मेरा मेरे लिये
हर पल आईना रहा,
बेहतरीन अभिव्यक्ति मन को छू गयी . आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN क्या क़र्ज़ अदा कर पाओगे?
जवाब देंहटाएंअद्भुत भाव!! आत्मविश्वास का स्वच्छ दर्पण!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भाव सदा....
जवाब देंहटाएंसशक्त रचना...
बड़े दिनों बाद तुम्हारी रचना पढ़ कर अच्छा लगा...
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत ही प्रभावशाली रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आत्म विश्वास से परिपूर्ण ....अडिग बहुत सुन्दर भाव ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुती ,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसच की लाठी, विश्वास की टेक
कदमों पे हौसला रख
गुजरी हर उस गली से मैं जहाँ झूठ चीखा था
कत्ल हुई थी उम्मीदें लहुलुहान थे सपने
या फिर न्याय होना बाकी था-----
मन के भीतर पनप रहे आक्रोश और "मैं" की जय-पराजय
का उद्घोष करती अद्भुत रचना
सादर
ज्योति
आग्रह है- "पापा"
आज की ब्लॉग बुलेटिन तार आया है... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. जो भी इंसान इस आईने में बार-बार झांकता रहता है उसका परिष्करण, उसकी बेहतरी सुनिश्चत है.
जवाब देंहटाएंवाकई सबसे ज्यादा मजबूत होते हैं वे लोग जो व्यक्तित्व को आईना बना कर जीते हैं ...
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंlatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
साँस भरता, प्राण भरता,
जवाब देंहटाएंस्वयं का अनुमान भरता।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकमसे कम खुद से तो इमानदारी की अपेक्षा की ही जा सकती है. अगर यह भी हो जाये तो बहुत परिवर्तन आ जायेगा.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
अपने सच का संबल ही साथ रहता है हमेशा .. तभी जीवन जिया जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास का दर्शन समेटे भावपूर्ण रचना ...
Hum khud se hi bahut kuch sikh sakte hain,zindagi ke hr raah ke hr mod par..
जवाब देंहटाएंSundar bhao.
बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और बहुत ही लाजबाब प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,
अर्थपूर्ण पंक्तियाँ.....
जवाब देंहटाएंआत्मावलोकन................अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा :)
जवाब देंहटाएंआईना झूठ नही बोलता ।
जवाब देंहटाएं