बुधवार, 13 जून 2012

रिश्‍ता कोई भी हो !!!


















मस्तिष्‍क कोई उपजाऊ भूमि नहीं
जहां एक शब्‍द के बदले में
तुम पा सकोगे अनेक शब्‍द
प्रत्‍येक शब्‍द की उपज के लिए
मस्तिष्‍क को दिल के रास्‍ते
रूह तक पहुंचना होता है
समेटना होता है
कितने ही अर्थों में हर शब्‍द के भाव को
विचार मन की सम्‍पत्ति है
जो पनपते हैं पोषित होते हैं
और पल्‍लवित होते हैं
हमारे संस्‍कारों से
....
विचार भी बीज की तरह हैं
जो शब्‍दो से पनपते हैं
समेटते हैं भावनाओं को
बनाते हैं एक रिश्‍ता
रूह से रूह का
मन को संयम का
पाठ पढ़ाते हुए  सिखाते हैं
उंगली पकड़कर चलना
....
रिश्‍ता कोई भी हो
वो यूँ ही किसी की परवाह नहीं करता
रिश्‍तों का पालन-पोषण
करने के लिए
दिल के दरवाजे पर
दस्‍तक़ देनी होती है 
क्‍यूँ कि तुम ही तो कहते हो
रिश्‍ते दिमाग का नहीं
दिल का मामला होते हैं !!!

35 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कभी दिल के दरवाजों पर दस्तक देने पर भी कपाट बंद ही मिलते हैं ..... तब क्या करें ?

    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  2. दिल के घुप्प रास्ते निर्णायक दिशा देते हैं ...

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  3. हाँ.... दस्तक देना होता है...या घंटी बजानी होती है दिल के दरवाज़े पर :-)

    सुन्दर भाव..
    सस्नेह.

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  4. संगीता स्वरूप जी के अर्थपूर्ण प्रश्न के होते हुए भी मानवीय अपेक्षाएँ मनुष्यों के दिल-दिमाग़ पर दस्तक देते रहने को मजबूर हैं. कविता विचार और आत्मा के दार्शनिक पक्ष पर बात करती नज़र आती है. बहुत खूब.

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  5. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    और दिल के रिश्ते संगदिल नहीं होते

    जवाब देंहटाएं
  6. दिल के दरवाजे पर
    दस्‍तक़ देनी होती है
    क्‍यूँ कि तुम ही तो कहते हो
    रिश्‍ते दिमाग का नहीं

    दिल का मामला होते हैं !!!

    वाह,,,, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन भाव ,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  7. विचार भी बीज की तरह हैं
    जो शब्‍दो से पनपते हैं
    समेटते हैं भावनाओं को
    बनाते हैं एक रिश्‍ता
    रूह से रूह का

    बहुत खुबसूरत ।

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  8. बिना दस्तक दिए कोई समझता नहीं...बेहतरीन रचना !!

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  9. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!
    बहुत बढ़िया है .vichar pravaah ko nai dishaa deti post , sambandhon ko aanch muhaiyaa karvaati kaayam rakhne ke nuskhe samjhaati post . post .

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  10. बहुत बढ़िया है .विचार प्रवाह को नै दिशा देती पोस्ट , संबंधों को आंच मुहैया कर वाती कायम रखने के नुस्खे समझाती पोस्ट . .

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  11. बहुत सुन्दर ....दस्तक देना बहुत जरुरी है तभी दरवाज़ा खुलता है !

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  12. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    वाह...बहुत सुन्दर...

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  13. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!
    dil se bane rishte hi sukun dete hain ...sundar rachna..

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  14. दस्तक दिए बिना कोई दरवाजा नही नही खोलता...सच कहा रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं...बहुत सुन्दर मन को छूती रचना..

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  15. विचार भी बीज की तरह हैं
    जो शब्‍दो से पनपते हैं
    समेटते हैं भावनाओं को
    बनाते हैं एक रिश्‍ता
    रूह से रूह का
    बहुत बहुत सुन्दर....
    दिल को छु लेनेवाले भाव...

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  16. रिश्‍ता कोई भी हो
    वो यूँ ही किसी की परवाह नहीं करता
    रिश्‍तों का पालन-पोषण
    करने के लिए
    दिल के दरवाजे पर
    दस्‍तक़ देनी होती है
    क्‍यूँ कि तुम ही तो कहते हो
    रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    very true.

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  17. बहुत खूब

    हर रिश्ता जरुरी होता हैं ......

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  18. ब्लॉग का नया रंग रूप आकर्षक है।
    रिश्तों की अहमियत पर लिखी गई इस कविता में जो सिद्दांत प्रतिपादित किए गए हैं वे शाश्वत सत्य हैं।

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  19. रिश्ते वाकई में किसी की परवाह नहीं करते.... और रिश्तों में सिर्फ दिल ही होता है.. .आपकी कविता यह वाली मुझे बहुत ही अच्छी लगी... एकदम मीनिंगफुल...

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  20. आजकल वाकई में टाइम नहीं मिल पाता है.... इसीलिए आपकी कई पोस्ट्स पर कमेन्ट नहीं कर पाया... इसके लिए सॉरी... प्लीज़ माफ़ कर दीजियेगा.. अभी सारी छूटी हुई पोस्ट्स को पढ़ता हूँ...

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  21. रिश्ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं ! bilkul theek.

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  22. सच कहा है रिश्तों कों बड़ी शिद्दत से सहेजना पड़ता है ... पलना पड़ता है ...

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  23. रिश्तों को किसी की परवाह नहीं होती...!

    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति !

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  24. रिश्ते वाकई परवाह नहीं करते. कई दफा बार बार दस्तक देने पर भी नहीं खुलते दरवाजे.
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति.

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  25. भूषण अंकल की बात से पूर्णतः सहमत हूँ। सार्थक रचना

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  26. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    सहमत हूँ.

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  27. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति.

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  28. रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    ....बहुत सुन्दर...

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  29. प्रत्‍येक शब्‍द की उपज के लिए
    मस्तिष्‍क को दिल के रास्‍ते
    रूह तक पहुंचना होता है
    .....
    क्या कमाल की बात कही है आपने ...आपतो खैर आप ही हैं ये मेरा निजी दुर्भाग्य है कि मैं आपके लेखन को जानते हुए भी आपको पढ़ नहीं पाता !

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  30. रिश्‍ता कोई भी हो
    वो यूँ ही किसी की परवाह नहीं करता
    रिश्‍तों का पालन-पोषण
    करने के लिए
    दिल के दरवाजे पर
    दस्‍तक़ देनी होती है
    क्‍यूँ कि तुम ही तो कहते हो
    रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!

    नै पुराणी हलचल पर दोबारा पढ़ी यह रचना आज भी उतना ही उद्वेलित करती रही यह भाव को अनुभाव को बुद्ध तत्व को .विचार को .रूह को .

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  31. sada ji
    bilkul sahi v sateek baat kahi hai aapne------------
    rishte yun hi nahi bana karte
    poonam

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  32. दिल के दरवाजे पर
    दस्‍तक़ देनी होती है
    क्‍यूँ कि तुम ही तो कहते हो
    रिश्‍ते दिमाग का नहीं
    दिल का मामला होते हैं !!!
    BEAUTIFUL LINES WITH DEEP THOUGHT AND GREAT FEELINGS.

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