मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

सहजता में .....













सहजता में एक  विश्‍वास होता है
मन को हर शंका से
निज़ात दिलाना कितना
आसान हो जाता है
लेकिन ... किंतु .. परंतु  के दायरे से
कोसो दूर एक सहज छवि
मन के अन्‍तर्मन में
बस जाती है जब
फिर कोई कितनी भी कोशिश कर ले
उसपर से विश्‍वास बमुश्किल ही
डिगता है...

जल से अग्नि की दाहकता थमती है  जैसे,
वैसे ही ज्ञान से
चित्‍त को शांत और विचारवान करना
मुश्किल नहीं
सहज और मीठी वाणी
क्रोध को भी परास्‍त कर देती है ...
आवश्‍यकता बस धैर्य की रहती है
श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
विश्‍वास का दीपक जलता है जब
जीवन की सब राहें
सरल और सुगम हो जाती हैं  ....

अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
जब आता है
दु:ख जाने कैसे छिप जाता है
उस नन्‍हीं सी किरण के आगे
चेहरे पर आश्‍चर्यमिश्रित
एक नई आभा से
उस किरण में उजाले की
सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...

31 टिप्‍पणियां:

  1. andhere mein ujaalaa mil jaaye ,samjho sab mil gayaa
    दर्द हद से
    गुजरने लगा
    आखों से
    आंसू बहाने लगा
    हालात से लड़ना
    मुश्किल हो गया
    दिन के उजाले में
    अन्धेरा छा गया
    खुद को अकेला
    समझने लगा
    तभी ज़िन्दगी में
    खुदा ने एक
    अजनबी को भेजा
    उसने आँखों के
    आंसू पौंछे
    ज़ख्मों पर मरहम
    लगाया
    होंसला बढाया
    ज़हन में छाये
    अँधेरे कोहटाया
    जीने का अर्थ
    समझाया
    खिजा सी
    ज़िन्दगी को
    बागे बहार में
    बदला
    वो अजनबी नहीं
    एक मसीहा है
    मेरे लिए
    10-02-2012
    139-50-02-12

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  2. श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
    विश्‍वास का दीपक जलता है जब
    जीवन की सब राहें
    सरल और सुगम हो जाती हैं ....

    अनिर्वचनीय ...बहुत गहन और ...बहुत ही सुंदर भाव ...
    बधाई एवं शुभकामनायें सदा जी ...

    जवाब देंहटाएं
  3. श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
    श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
    विश्‍वास का दीपक जलता है जब
    जीवन की सब राहें
    सरल और सुगम हो जाती हैं ....

    वाह!!
    बहुत सुन्दर बात...
    बधाई सदा जी..

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  4. बहुत ही सहज और गहन भाव अभिवयक्ति......

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  5. अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
    जब आता है
    दु:ख जाने कैसे छिप जाता है
    उस नन्‍हीं सी किरण के आगे
    चेहरे पर आश्‍चर्यमिश्रित
    एक नई आभा से
    उस किरण में उजाले की
    सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...ek halka ujala bhi andhere ko door karta hai

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  6. एक नई आभा से
    उस किरण में उजाले की
    सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...

    अनिर्वचनीय ...बहुत गहन और ...बहुत ही सुंदर भाव ...
    बधाई एवं बहुत२ शुभकामनायें,... सदा जी

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  7. लेकिन ... किंतु .. परंतु के दायरे से
    कोसो दूर एक सहज छवि
    मन के अन्‍तर्मन में
    बस जाती है जब
    फिर कोई कितनी भी कोशिश कर ले
    उसपर से विश्‍वास बमुश्किल ही
    डिगता है...
    यही सत्य है …………उम्दा प्रस्तुति।

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  8. श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
    विश्‍वास का दीपक जलता है जब
    जीवन की सब राहें
    सरल और सुगम हो जाती हैं ....


    बिलकुल सही कहा है ... एक कि भी कमी से मन उदद्वेलित हो जाता है ।

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  9. जल से अग्नि की दाहकता थमती है जैसे,
    वैसे ही ज्ञान से
    चित्‍त को शांत और विचारवान करना
    मुश्किल नहीं
    सहज और मीठी वाणी
    क्रोध को भी परास्‍त कर देती है ...
    आवश्‍यकता बस धैर्य की रहती है
    श्रद्धा का तेल आस्‍था की बाती से
    विश्‍वास का दीपक जलता है जब
    जीवन की सब राहें
    सरल और सुगम हो जाती हैं ....
    Kya alfaaz hain!

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  10. बहुत खूबसूरत कविता.. जितनी सहजता से आपने समझा दिया वो प्रशंसनीय है!!

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  11. बिलकुल पर सहज होना कहाँ सहज है ।

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  12. अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
    जब आता है....

    ओये होए ....

    कौन है वो .......????

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  13. वाह!! क्या सुन्दर लिखा है आपने...
    सादर बधाई...

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  14. मीठी बोली सहजता,

    आशामय विश्वास।

    शांत चित्त के ज्ञान से,

    सहज सरल हर सांस ।।

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    उत्तर
    1. http://dineshkidillagi.blogspot.in/2012/02/links.html
      दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक

      हटाएं
  15. बहुत खूबसूरत कविता गूढ़ भावो का रहस्य खोलती.

    सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.

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  16. बहुत ही खूबसूरती से मनोभावो को उजागर किया है...

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  17. सच कहा, सहजता में एक अद्भुत शान्ति है..

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  18. सहमत हूँ.....सहजता बहुत कुछ आसान कर देती है......

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  19. सदा जी, सहजता की तो बात ही क्या है। सहजता का कोई विकल्प नहीं।

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  20. अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
    जब आता है
    दु:ख जाने कैसे छिप जाता है
    उस नन्‍हीं सी किरण के आगे
    चेहरे पर आश्‍चर्यमिश्रित
    एक नई आभा से
    उस किरण में उजाले की
    सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...

    सही कहा आपने...सहजता में बहुत शक्ति होती है|

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  21. सहजता में एक विश्‍वास होता है...
    sadhuwaad!!!!!!!!!!!!

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  22. गहरे और सुन्दर शब्द...इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  23. अंधेरे से उजाले में या दुख से उबर कर सुख में आना पाना कोई सहज काम नहीं।

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  24. sabhi panktiyan chintan manan yogya. bahut khoobsurat baat kahi hai aapne...

    अंधेरे में कोई उजाले की किरण बनकर
    जब आता है
    दु:ख जाने कैसे छिप जाता है
    उस नन्‍हीं सी किरण के आगे
    चेहरे पर आश्‍चर्यमिश्रित
    एक नई आभा से
    उस किरण में उजाले की
    सहजता छिपी होती है शायद इसलिए ...

    behad saargarbhit, badhai sweekaaren.

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  25. सुंदर रचना।
    गहरी अभिव्‍यक्ति।

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  26. गहन अभिव्यक्ति किन्तु सहज भाव और भाषा के साथ ...बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने!

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