बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

समर्पण स्‍नेह का .....














तुम इसे तर्पण समझो
या समर्पण स्‍नेह का
हथेलियों में मेरी
पावन जल है गंगा का
जिसमें कुछ
बूंदे मैने अश्‍कों की
मिला दी हैं
यह भावना का श्रृंगार है
तुम्‍हारे प्रति
आस्‍था है मेरी
जिसके लिए मुझे
जरूरत नहीं है
किसी रक्‍त बंधन की
मेरी धमनियों में
प्रवाहित वह स्‍पर्शहीन
स्‍नेह उसी वेग से
संचार कर रहा है
जैसे  रक्‍त समस्‍त
कोशिकाओं में करता है ....
शब्‍द तुम्‍हारे मुझे
प्रेरित करते हैं
वाणी तुम्‍हारी मुझे
दिशा देती है
यशस्‍वी भव
जैसे मां कहती है ....
अपनी जन्‍म देने वाली संतान को ...

44 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर शब्द..
    kalamdaan.blogspot.in

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  2. शब्‍द तुम्‍हारे मुझे
    प्रेरित करते हैं
    वाणी तुम्‍हारी मुझे
    दिशा देती है
    यशस्‍वी भव
    जैसे मां कहती है ....
    अपनी जन्‍म देने वाली संतान को ... bahut hi sundar rchna hai ,bdhaai aap ko

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  3. गौ वंश रक्षा मंच: श्री गोपाल गौशाला
    gauvanshrakshamanch.blogspot.com par aap saadar aamntrit hai ...shukriya

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  4. मेरी धमनियों में
    प्रवाहित वह स्‍पर्शहीन
    स्‍नेह उसी वेग से
    संचार कर रहा है

    सुन्दर रचना...
    सादर

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति |

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  6. बहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति....

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  7. हथेलियों में मेरी
    पावन जल है गंगा का
    जिसमें कुछ
    बूंदे मैने अश्‍कों की
    मिला दी हैं
    यह भावना का श्रृंगार है
    तुम्‍हारे प्रति
    .....
    कमाल का भाव लिखा है सदा जी वाह !

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  8. सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  9. हथेली में गंगा जल जिसमें अश्कों का आ मिलना ! वाह! बहुत सुंदर सदा जी।

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  10. इस रचना में आपने जो भावों की सरिता बहाई है, उसमें से तिरना अच्छा लगा।

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  11. वाणी तुम्‍हारी मुझे
    दिशा देती है,सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  12. सुंदर ...मन के प्यारे भाव संजोये हैं....

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  13. main jeetee hoon tumhein
    tum saans meree......

    very....................nice

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  14. बहुत सुन्दर...
    बहुत बहुत सुन्दर सदा जी ...
    सस्नेह..

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  15. तर्पण और समर्पण.. गंगा जल और आंसू.. कमाल की अभिव्यक्ति है सदा जी!!

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  16. आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  17. बहुत सुन्दर प्रेम की अनुभूति ....प्रेम का यही स्वरूप सच्चा होता है ...

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  18. समर्पित प्रेम के कोमल भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

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  19. अच्छी पंक्तियाँ प्रेम के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ,.....

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  20. बैहतरीन एवं सराहनीय रचना.......
    कृपया इसे भी पढ़े-
    नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)

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  21. Wah!!! Bahut hi sundar rachna...Behtareen

    तुम इसे तर्पण समझो
    या समर्पण स्‍नेह का
    हथेलियों में मेरी
    पावन जल है गंगा का
    जिसमें कुछ
    बूंदे मैने अश्‍कों की
    मिला दी हैं
    Shuruaat hi itni bhavpurn hai ki baar baar padhne ko man karta hai...

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  22. मेरी धमनियों में
    प्रवाहित वह स्‍पर्शहीन
    स्‍नेह उसी वेग से
    संचार कर रहा है.

    सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति. बधाई इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये.

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  23. वाह!!!!!बहुत सुंदर सदा जी,..अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  24. bhaav aansoo se bhi aate hain ... sambandh rakt ki boondon se hi nahi hote ... gahre bhaav ...

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