गुरुवार, 12 जनवरी 2012

ख़ामोशी की झोली ...

मैं जब भी कहूं
तेरी याद सताती है
उसके लबों पे
आ के इक तबस्‍सुम ठहर जाती है ...
उसने कहा एक दिन
इन यादों के फेर में मत पड़ना
ये छलती हैं
कसमें टूटती हैं
वादे अक्‍सर झूठे होते हैं
बस कामयाब होती हैं तो कोशिशें
मैं उसकी अनुभवी आंखों में
सूनापन देखकर
हैरान सी हो गई थी
भला यादें कैसे छल करती होंगी
तब उसने कहा मैं भी यूं हीं
इन यादों के साये  में
जब तक रही
सबने मुझे बावरी कहा
लेकिन मैं उस सांझ से क्‍या कहती
जो ढलते ही
मुझे अपनी पनाह में  ले लेती थी ...
उन पलों से क्‍या कहती
जो तेरे साथ गुजारे थे
वही सब तो थे जो मुझे घेर लेते थे
मैं तनहाई और यादें
बस मैं हो गई बावरी लोगों की नज़र में
फिर ... ? मेरी उत्‍सुक निगाहें
पागल ....
मेरे सर पर एक हल्‍की सी चपत लगाई उसने
ऐसा कर ...
इन यादों को तू मेरी झोली में डाल दे
मैं समय-समय पर
इनकी झाड़-पोंछ करती रहूंगी
ताकि गर्द न जमें
और तुझे कोई सताये भी न ...
मैं खुश ...
ऐसा भी होता है ... !
बिल्‍कुल दिल चाहे तो क्‍या नहीं होता ... !!
बस आप यकीं करना
मैने दिल की बात मन ली
सारी यादें खामोशी की  झोली में डाल दी ...
अब मैं भी खुश और वो भी खुश ... !!!
 

31 टिप्‍पणियां:

  1. खामोशी के झोली में सारी यादों को डालकर खुश रहना ..वाह .. कितना सुन्दर लिखा है सदा जी , बेहद खुबसूरत..

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  2. वाह सदा जी................
    बहुत बहुत बढ़िया...
    तह लगा कर रखी होती हैं यादे...अलमारी के कागज़ ने नीचे...

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  3. खामोशी सब समेट लेती है,सब बयाँ कर देती है...
    सुंदर प्रस्तुति सदा जी।

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  4. बहुत ही बेहतरीन और अर्थपूर्ण अभीव्यक्ति... सुंदर...

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  5. सारी यादें खामोशी की झोली में डाल दी ...
    अब मैं भी खुश और वो भी खुश ... !!!

    अद्भुत अभिव्यक्ति!! एक सार्थक सन्देश!!

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  6. मैं खुश ...
    ऐसा भी होता है ... !
    बिल्‍कुल दिल चाहे तो क्‍या नहीं होता ... !!
    behatarin

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  7. यादों का भंवर.......सुन्दर प्रस्तुति|

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  8. ख़ामोशी की झोली में यादों को डालने की तरकीब अच्छी लगी ...खूबसूरत रचना

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  9. यह ख़ामोशी की झोली भी सबके पास नहीं होती ..तभी न यादें बहुत सताती हैं :):)
    अच्छी प्रस्तुति

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  10. बहुत सुंदर रचना
    (पिछले दिनों आपकी एक पुस्तक को देखा, बहुत अच्छा लगा।)

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  11. बहुत सुन्दर...
    दिल को छू गयी आपकी रचना.

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  12. इन यादों के फेर में मत पड़ना
    ये छलती हैं
    कसमें टूटती हैं
    वादे अक्‍सर झूठे होते हैं
    बस कामयाब होती हैं तो कोशिशें
    bahut badi baat kah gayi hain aap in panktiyon men. achchhi lagi ye nazm.

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  13. जो दिल की बात सुनता है उसका दिमाग भी दुरुस्त रहता है।

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  14. बहुत ही सुन्दर और सार्थक कविता शब्दों में अपनापन सा लगता है

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  15. मकर संक्रांति की शुभकामनायें.....बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकारें..|

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  16. सबने मुझे बावरी कहा
    लेकिन मैं उस सांझ से क्‍या कहती
    जो ढलते ही
    मुझे अपनी पनाह में ले लेती थी ...
    उन पलों से क्‍या कहती
    जो तेरे साथ गुजारे थे
    वही सब तो थे जो मुझे घेर लेते थे
    मैं तनहाई और यादें
    बस मैं हो गई बावरी लोगों की नज़र में

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  17. बखूबी अपने भावों को शब्दों में पिरोया है!

    आभार
    प्यार में फर्क पर अपने विचार ज़रूर दें...

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  18. गहरे भाव। सुंदर रचना।....मकर संक्रांति की शुभकामनायें.

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  19. गहरे भाव की बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति,मकर संक्रांति बधाई,
    नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-

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  20. यादों की ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है.

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  21. मन के भाव को शब्दों में उकेर दिया है ... बेहतरीन ...
    मकर संक्रांति की बहुत बहुत बधाई हो ...

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  22. ख़ामोशी भी बहुत कुछ कहती है.

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