मंगलवार, 18 जून 2019

बाहों में आपकी पापा !!

दुआओ  के झूले
कितने हैं झूले
बाहों में आपकी पापा
थकान को
मुस्कान में बदलने का
हुनर सीखा है आपसे ही
हम मुस्कराते हैं
वज़ह इसकी आप हैं
ज़रूरत हमारी
लगती न आपको
कभी भी भारी
हिम्मत से आपने हर
मुश्क़िल की है नज़र उतारी !!
....


7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत खूबसूरत रचना मन को स्पर्श करती।।

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 19/06/2019 की बुलेटिन, " तजुर्बा - ए - ज़िन्दगी - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. पिता एक मजबूत स्तंभ जिसकी अदृश्य डोरी से बंधे हम.
    भावपूर्ण!

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  4. सदा दी,दिल को छूती बहुत सुंदर रचना।

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