रविवार, 29 मार्च 2015

किसी और की खुशी में!!!!

खुशियों को जब भी देखा मैने
नये परिधान में
सोचा ज़रूर ये आज
किसी की हो जाने के लिये
तैयार हुई हैं!
...
बस उनके आग़त का
स्‍वागत करेगा जो
ये वहीं ठहर जाएंगी
पर कहाँ
इन्‍हें तो पल भर बाद
फिर आगे बढ़ जाना था
हिम्‍म़त कर पूछा
इतनी जल्‍दी चल दीं
थोड़ी देर तो और मेरा
साथ निभाया होता!!
....
वो मुस्‍करा के बोल उठीं
हम तो रहती हैं
यूँ ही गतिमान
नहीं है निश्चित
हमारा कोई परिधान
जब चाहा
एक लम्‍हा लिया रब से
किसी को सौंप दिया
फि़र किसी और के पास चले
हम लम्‍हों के संग
साथ तो तुम्‍हें निभाना होता है
किसी और की खुशी में
मुस्‍काराना होता है !!!!



16 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar rachna aur bhav....
    हम लम्‍हों के संग
    साथ तो तुम्‍हें निभाना होता है
    किसी और की खुशी में
    मुस्‍काराना होता है !!!!

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  2. सच ख़ुशी किसी के पास टिक कर नहीं रह सकते हैं ...और यह सच है कि इंसान अपनी ख़ुशी कम अपनों कि ख़ुशी में खुश ज्यादा रहता है उनके लिए लगा रहता है ..
    बहुत बढ़िया

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  3. खुशियाँ तो हर दम खोजनी पड़ती है ......एक दम सही .......शुभकामनाएँ |

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  4. वाह..औरों की ख़ुशी में मुस्कुराना आ गया तो हर पल खुशियों का दामन थामना आ गया..

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  5. हम लम्‍हों के संग
    साथ तो तुम्‍हें निभाना होता है
    किसी और की खुशी में
    मुस्‍काराना होता है !!!!

    आपने एकदम सही कहा दीदी ... ये दुनिया ऐसी ही है !

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  6. बहुत ख़ूबसूरत! खुशियों को कौन कैद कर सका है. ये फिसल जाती हैं हाथ से. मज़ा तो तब है जब पाई हुई खुशी जहाँ में बाँटें, ताकि खुशियाँ लौट लौट कर आएँ!

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  7. सुंदर प्रस्तुति। खुशियों की यही प्रकृति है।

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  8. खुशी चलकर किसी के घर कभी यूं ही नहीं आई
    जिसने जोर आजमाया उसी के साथ भरमाई।

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  9. खुशी चलकर किसी के घर कभी यूं ही नहीं आई
    जिसने जोर आजमाया उसी के साथ भरमाई।

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  10. खुशियों का यही स्वाभाव है बड़ी जल्दी जल्दी दल बदल लेती है
    मोहक प्रस्तुति

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  11. दूसरों को खुशियाँ दो तो तुमको स्वयं ही मिल जायेंगी .... बहुत सुन्दर भाव .

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  12. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार,15 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

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