गुरुवार, 7 नवंबर 2013

तुम कहने के पहले सोचती क्‍यूँ नहीं :)

ना शिकायत मुझे तुमसे है,
ना ही समय से, ना किसी और से
बस है तो अपने आप से
हर बार हार जाती हूँ तुम से
तो झगड़ती हूँ मन से
रूठकर मौन के एक कोने में
डालकर आराम कुर्सी
झूलती रहती अपनी ही मैं के साथ !
...
कभी खल़ल डालने के वास्‍ते
आती हैं हिचकियाँ लम्‍बी-लम्‍बी
गटगट् कर पी लेती हूँ पानी का ग्‍लास
एक ही साँस में
सूखता हलक़ तर हो चुका होता है
पर पलटकर तुम्‍हारी तरफ़
मैं निहारती भी नहीं
ज़बान आतुर है फिर कुछ कहने को
कंठ मौन के साये में
शब्‍दों को चुनता है मन ही मन
फिर नि:शब्‍द ही रहकर
कह उठता है
तुम कहने के पहले सोचती क्‍यूँ नहीं !!
....
.....तुम में संयम नहीं होता तो
भला कैसे रहती
तुम दंत पंक्तियों के मध्‍य
यूँ सुरक्षित,
तुमसे मुझे इतना ही कहना है
मेरा सर्वस्‍व तुम से है
और मेरी ये चाहत तुम्‍हारे लिये है
तुम सहज़ रहो,
कुछ भी कहने से पहले
अपनी सोच को दिशा दो तब कहो
विवेक के सानिध्‍य में अानंद है
आनंद में सुख है
मैं नहीं चाहती कि तुम इस सुख से वंचित रहो
मेरे रहते तुम्‍हें कोई ये कहे
तुम कहने के पहले कुछ सोचती क्‍यूँ नहीं :)

35 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी सोच को दिशा दो तब कहो
    विवेक के सानिध्‍य में अानंद है
    आनंद में सुख है
    मैं नहीं चाहती कि तुम इस सुख से वंचित रहो
    मेरे रहते तुम्‍हें कोई ये कहे
    तुम कहने के पहले कुछ सोचती क्‍यूँ नहीं?
    बहुत सुन्दर आत्म चिंतन |
    नई पोस्ट फूलों की रंगोली
    नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!

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  2. अपनों से कुछ कहने से पहले सोचना पड़े ... ये हालात ठीक नहीं ...
    हां आत्मचिंतन जरूरी है ...

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  3. अभी तो सोच रहें हैं ...... लिखने के लिए बाद में आते हैं :)

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  4. सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीया -
    बहुत बहुत आभार-

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  5. Kuchh kahne se pahle sochne me banaawat hoti hai.. Haan dil ki baat bina laag lapet ke kah dene me kasht bhi bahut hain.. Ab faisala to vyaktigat ho gaya.
    Kavita pasand aayi!!

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. मन छूते अहसास ......
    अहसास ..महसूस कर लिया ...सो लिख दिया ......अब सोचना कैसा ?
    शुभकामनायें!

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  9. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (08-11-2013) को "चर्चा मंचः अंक -1423" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

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  10. कहने के पहले सोचा तो कहा न जायगा...मगर हाँ कडवाहट उगलने से बचने का प्रयास अवश्य हो !!!
    सार्थक रचना.
    सस्नेह
    अनु

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  11. आपकी इस उम्दा प्रस्तुति को अंक ४१ शुक्रवारीय चौपाल http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ मैं शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु अवश्य पधारे ..धन्यवाद

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  12. हम ऐसी ही दुनियाँ में जी रहे हैं जहाँ अपनों के बीच बोलने से पहले भी खूब सोचना पड़ता है। जब भी हम अकेले होते हैं यह बेबसी बहुत खलती है। इस बेबसी को खूब अभिव्यक्त किया है आपने।

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  13. तुम सहज़ रहो,
    कुछ भी कहने से पहले
    अपनी सोच को दिशा दो तब कहो
    विवेक के सानिध्‍य में अानंद है
    आनंद में सुख है
    मैं नहीं चाहती कि तुम इस सुख से वंचित रहो
    मेरे रहते तुम्‍हें कोई ये कहे ...
    बहुत बढ़िया आदरणीया सदा जी

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  14. अपनों से बात करने में सोचना क्या ,,,
    खुलकर बातें हों तो अच्छा
    लेकिन कहीं से बातों में कड़वाहट ना घुली हो इसका ध्यान होना चाहिए

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  15. हमेशा की तरह बेमिसाल रचना
    कई बार हो जाता है
    बोल कर सोचती
    कुछ कम बोल गई
    कुछ ज्यादा बोल गई
    ~~

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  16. .तुम में संयम नहीं होता तो
    भला कैसे रहती
    तुम दंत पंक्तियों के मध्‍य
    यूँ सुरक्षित,
    तुमसे मुझे इतना ही कहना है
    मेरा सर्वस्‍व तुम से है
    और मेरी ये चाहत तुम्‍हारे लिये है
    तुम सहज़ रहो,
    कुछ भी कहने से पहले
    अपनी सोच को दिशा दो तब कहो
    विवेक के सानिध्‍य में अानंद है
    आनंद में सुख है
    मैं नहीं चाहती कि तुम इस सुख से वंचित रहो
    मेरे रहते तुम्‍हें कोई ये कहे
    तुम कहने के पहले कुछ सोचती क्‍यूँ नहीं :)
    =====================================
    कभी कभी सोचना जरुरी होता है जो हम अक्सर भूल जाते हैं, उम्दा रचना। बधाई।

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  17. बहुत खूबसूरत अंदाज़ ... बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ...

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  18. कुछ भी कहने से पहले
    अपनी सोच को दिशा दो तब कहो
    विवेक के सानिध्‍य में अानंद है
    आनंद में सुख है
    मैं नहीं चाहती कि तुम इस सुख से वंचित रहो
    मेरे रहते तुम्‍हें कोई ये कहे
    तुम कहने के पहले कुछ सोचती क्‍यूँ नहीं :)
    bahut hi sunder aur snehil bhav
    rachana

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  19. वाह बहुत ही बढ़िया भावभिव्यक्ति...बहुत खूब सदा जी :)

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  20. बहुत सुन्दर,,अच्छा लगा आपको पढ़कर ..

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  21. पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
    कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
    ब्लॉग बुलेटिन इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं 2013 (6) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  22. बहुत ही सही कहा बोलने से पहले सोचते क्यों नहीं
    व्यक्त करने का तरीका बेहद खूबसूरत .......

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  23. काफी अपनत्व के साथ अधिकार जमाता हुआ सा कविता का सुर।। सुंदर भावपूर्ण....

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  24. बोलने से पहले अगर सोचने लग जाएँ तो बोल ही नहीं पाएँ .... ज़ुबान भला कैसे सोचे ? :)

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