बुधवार, 26 जून 2013

हो जाते हैं हम सब अचंभित !!!

माँ तुम
हमेशा विश्‍वास की उँगली
थमा देती हो
जिद् की मुट्ठी में
जो नहीं छोड़ती फिर तुम्‍हें
किसी भी परीस्थिति में  !
...
तुम कर्तव्‍य के घाट पर  से
जब भी निकलती हो
साहस की नाव लेकर
लहरें आपस में बातें करती हैं
नदिया का जल
तुम्‍हारी हथेली की अंजुरी में समा
स्‍वयं का अभिषेक करने को
हो जाता है आतुर
किनारे तुम्‍हारे आने की बाट जोहने लगते हैं  !!
...
तुम और तुम्‍हारा व्‍यक्तित्‍व
अलौकिक ही रहा सदा हम बच्‍चों के लिए
भांप लेता है हर खतरे की आहट को
तुम्‍हारे त्रिनेत्र की हम सब चर्चा करते हैं
और मुस्‍करा देते हैं तुम्‍हारी सूझ-बूझ पर
अक्‍सर तुम सहज़ शब्‍दों में जब कह देती हो
मुझे तो ये भी पता नहीं :)  कैसे करते हैं !
पर हो सब जाता है तुमसे
हो जाते हैं हम सब अचंभित !!!
....
परम्‍पराओं का पालन तुम करती हो
पर दायरों में नह‍ीं बाँधती अभिलाषाओ को
काट देती हो तर्क से अपने
हर उस विचार को
जो दूषित मंशा रखता है ह्रदय में
तभी तो हर रूप में तुम्‍हारा
सिर्फ अभिनन्‍दन ही होता है
जो न कभी कम होता है न कभी अपना विश्‍वास ही खोता है  !!!

39 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति . आभार संजय जी -कुमुद और सरस को अब तो मिलाइए. आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  2. परम्‍पराओं का पालन तुम करती हो
    पर दायरों में नह‍ीं बाँधती अभिलाषाओ को
    काट देती हो तर्क से अपने
    हर उस विचार को
    जो दूषित मंशा रखता है ह्रदय में
    तभी तो हर रूप में तुम्‍हारा
    सिर्फ अभिनन्‍दन ही होता है
    जो न कभी कम होता है न कभी अपना विश्‍वास ही खोता है !!!
    kua khoob ukera hai aapne apne man ke bhavo ko waah .................

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  3. परम्‍पराओं का पालन तुम करती हो
    पर दायरों में नह‍ीं बाँधती अभिलाषाओ को
    काट देती हो तर्क से अपने
    हर उस विचार को
    जो दूषित मंशा रखता है ह्रदय में

    परम्पराओं को निबाहते हुये नए को अपनाते हुये ही जीवन सहज हो पाता है और माँ यह बखूबी जानती है ... सुंदर रचना ।

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  4. आपकी माँ पर लिखी हर कविता दिल में उतर जाती है ....

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  5. ऐसी ही होती है माँ , बेहद सुन्दर और भावनात्मक रचना

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  6. माँ से ज्यादा बड़ा गुरु नहीं होता कोई ... अपने आचरण और व्यवहार से चीरे चीरे ये बातें बचों में डाल देती है वो ... अच्छी रचना है बहुत ही ...

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  7. परम्‍पराओं का पालन तुम करती हो
    पर दायरों में नह‍ीं बाँधती अभिलाषाओ को
    काट देती हो तर्क से अपने
    हर उस विचार को
    जो दूषित मंशा रखता है ह्रदय में
    तभी तो हर रूप में तुम्‍हारा
    सिर्फ अभिनन्‍दन ही होता है
    जो न कभी कम होता है न कभी अपना विश्‍वास ही खोता है !!!

    बेहद भावपूर्ण!!! अद्भुत!!

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  8. माँ को सब पता है न जाने माँ इतनी हिम्मत कहाँ से लाती है

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  9. मांं की छाया आपने बच्चों के लिये एक अदम्य शक्ति ,
    सुन्दर रचना ,

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  10. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27/06/2013 को चर्चा मंच पर होगा
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

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  11. सही है माँ को हर कुछ पता होता है
    बहुत सुन्दर
    आभार

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  12. अद्भुत!!
    बहुत ही भावपूर्ण अच्छी रचना है .....

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  13. माँ नाम ही है विश्वास का , दृढ विश्वास का ! जाने कैसे जान लेती है , कर लेती है !
    इस विश्वास को नमन !

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  14. तुम कर्तव्‍य के घाट पर से
    जब भी निकलती हो
    साहस की नाव लेकर
    लहरें आपस में बातें करती हैं
    नदिया का जल
    तुम्‍हारी हथेली की अंजुरी में समा
    स्‍वयं का अभिषेक करने को
    हो जाता है आतुर
    किनारे तुम्‍हारे आने की बाट जोहने लगते हैं !!
    ...

    तभी तो सबसे ऊपर दर्जा है माँ का ......बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  15. बहुत सुन्दर भाव लिए कविता है सदा जी |
    आशा

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  16. बहुत सुन्दर ढंग से माँ के स्वरूप को चित्रित किया है और वास्तव में हर माँ ऐसी ही होती है .

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  17. तुम और तुम्‍हारा व्‍यक्तित्‍व
    अलौकिक ही रहा सदा हम बच्‍चों के लिए
    भांप लेता है हर खतरे की आहट को
    तुम्‍हारे त्रिनेत्र की हम सब चर्चा करते हैं
    और मुस्‍करा देते हैं तुम्‍हारी सूझ-बूझ पर
    अक्‍सर तुम सहज़ शब्‍दों में जब कह देती हो
    मुझे तो ये भी पता नहीं :) कैसे करते हैं !
    पर हो सब जाता है तुमसे
    हो जाते हैं हम सब अचंभित !!!

    बहुत सुन्दर भाव

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  18. बेहद सुन्दर और भावनात्मक रचना

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  19. तुम कर्तव्‍य के घाट पर से
    जब भी निकलती हो
    साहस की नाव लेकर
    लहरें आपस में बातें करती हैं....
    भावपूर्ण

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  20. विश्वास है ही ऐसी चीज कि माँ भगवान् हो जाती है,एक जादू

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  21. अत्यंत भावनात्मक प्रस्तुति. माँ तो भगवान से भी ऊपर स्थान रखती है. बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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  22. बहुत ही सुन्दर. भाव पूर्ण रचना..

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  23. मार्मिक अनुभूति
    सादर

    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  24. वाह अदभुद प्रस्तुति।।।

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