शुक्रवार, 31 मई 2013

कुछ ईमानदार से शब्‍द !

कुछ ईमानदार से शब्‍द
मेरी कलम से जब भी उतरते
मुझे उन शब्‍दों पर बस
फ़ख्र करने का मन करता
ईमानदारी व्‍यक्तित्‍व की हो या फिर
शब्‍दों की हमेशा प्रेरक होती है
व्‍यक्तित्‍व अनुकरणीय होता है
और शब्‍द विस्‍मरणीय !
....
एक ईमानदारी के पुल को देखो
बरसों बरस खड़ा रहता है
अडिगता से जिसमें
सही मात्रा में मिला होता है
रेत-सीमेंट और लोहा
अपने अंतिम समय में भी
उसकी थरथराहट ईमानदारी से देती है
चेतावनी मुझ पर से गुजरना बंद करो
मेरा अंतिम समय आ गया !
....
एक ईमानदार कोशिश करके देखना,
कितनी बुराईयो के लिए
वह बन जाती है चुनौती
चुनौतियां सबके जीवन में आती हैं
हाँ उनसे कोई सबक लेता है
तो कोई उन्‍हें आड़े हाथों लेता है
या फिर करता है कोई
उनसे जीतने के लिए संघर्ष !!!
...

मंगलवार, 28 मई 2013

धड़कनों को जिंदा रखना है तो !!!!

कोई दर्द की बात करता है तो वो मुस्‍करा देता है
ये भी एक दिन अपने साथ जीना सिखा देता है ।

रास्‍तो पे उसने रखीं थी निशानियां तेरे वास्‍ते ही,
जो भी पूछ़ता वो तेरे जाने का सबब बता देता है ।

अहम टूटकर बिखरा तो वफ़ा खुलकर मुस्‍कराई,
ये प्रेम ही है वो जो सच का आईना दिखा देता है ।

धड़कनों को जिंदा रखना है तो पहन  हँसी का जेवर,
ये वही है जो मुश्किल दौर में भी जीना सिखा देता है ।

दिल की तंग गली में कब मेले लगे खुशियों के सोच,
जीना तो है उसी का जो गम में भी सदा मुस्‍करा देता है ।

शुक्रवार, 24 मई 2013

जिंदगी की किताब !!!!

नया सीखोगे
जिंदगी की किताब
पढ़ोगे जब !
....
चुनौतियाँ भी
रास्‍ते बदलती तो
अच्‍छा होता न !
....
सन्‍नाटे भी तो
शोर करते हैं न
सुना तुमने !
...
कीमत होती
यक़ीन की नहीं तो
करता कौन !
....
दर्द बाँटा तो
मुस्‍कराहट आई
गम तड़पा !
...
प्रेम राग है
जीवन बेला में ही
इसको जी लो
...

सोमवार, 20 मई 2013

शिकायतों की चिट्ठी भी ....

प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
इसने तो बस मन का गहना पहना है ।

कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से,
कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है ।

लाख दूरियाँ वक्‍त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।

दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।

शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
प्रेम विश्‍वास का सदा अनुपम गहना है ।

गुरुवार, 16 मई 2013

हर मुश्किल के पार उतरते देखा है !!!!

मेहनतकश चींटी को कण-कण से जीवन यापन करते देखा है,
बाधायें कैसी भी आ जाये जीवन में उनसे पार उतरते देखा है !

हर मुश्किल में निर्णय लेती हैं मिल-जुलकर सम्‍बंधों का ऐसा,
अटल विश्‍वास संजोये ये जीव अनूठा हर पल चलते  देखा है !

समर्पण की सीढ़ी चढ़कर श्रम का दान ये करती हैं तेरा-मेरा छोड़,
जीवन की सारी बाधाओं से इनको निश दिन पार उतरते देखा है !

चक्‍कर पर चक्‍कर लगाती चलने को आती तो ये मीलों चल जाती,
तुमने इनको कभी मुश्किलों से बतलाओ क्‍या घबराते भी देखा है !

सीख सुहानी जीवन की ये देती हैं 'सदा' ही श्रेष्‍ठ सपर्मण से जानो,
तन नहीं बल्कि मन से इनको हर मुश्किल के पार उतरते देखा है !

शुक्रवार, 10 मई 2013

तुम्‍हारे बारे में !!!!!!















मां सोचती हूँ कई बार
तुम्‍हारा प्‍यार  और तुम्‍हारे बारे में
जब भी तो बस यही ख्‍याल आता है
क्‍या कभी शब्‍दों में व्‍यक्‍त हो सकता है
तुम्‍हारा प्‍यार  तुम्‍हारा समर्पण,
तुम्‍हारी ममता
तुम्‍हारा निस्‍वार्थ भाव से किया गया
हर बच्‍चे से समानता का स्‍नेह
.......
मां तुम्‍हारा उदाहरण जब भी दिया
देव मुस्‍कराये पवन शांत भाव से बहने लगी
नदिया की कलकल का स्‍वर मधुर लगने लगा
हर शय छोटी प्रतीत होती है उस वक्‍त
जब भी बाँहें फैलाकर जरा-सा तुम मुस्करा देती हो 
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्‍हारा प्‍यार  और तुम्‍हारे बारे में
.....
खुशियों का अर्थ मेरे लिये
तुम्‍हारी मुस्‍कान होती है मां
तुम्‍हें पता है तुम्‍हारी उदासी
मेरी हँसी छीन लेती है
तुम्‍हारे आंसू
झंझोड़ देते हैं मेरा अन्‍तर्मन
बेबस हो जाती हूँ उन लम्‍हों में
जिनमें तुम्‍हारे विश्‍वास का
खून होता है
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्‍हारा प्‍यार  और तुम्‍हारे बारे में !!

सोमवार, 6 मई 2013

मीठा राग है जिंदगी भी !!!



















हर बार मेरे हिस्‍से
तुम्‍हारी दूरियाँ आईं
नजदीकियों ने हँसकर जब भी
विदा किया
एक कोना उदासी का लिपट कर
तुम्‍हारे काँधे से सिसका पल भर को
फिर एक थपकी हौसले की
मेरी पीठ पर तुम्‍हारी हथेलियों ने
रख दी चलते-चलते !
.....
मेरे कदम ठिठक गए पल भर
कितने कीमती लम्‍हे थे
उस थपकी में
जिनका भार मेरी पीठ पर
तुम्‍हारी हथेली ने रखा था
भूलकर जिंदगी कितना कुछ
हर बार मुस्‍कराती रही
उम्‍मीद को हँसने की वजह
नम आँखों से भी बताती रही
गले लगती जो कभी
सुबककर रात तो
उसे भोर में चिडि़यों का चहचहाना
सूरज की किरणें दिखलाती रही !!
....
कूकती कोयल ... अपनी मधुरता से
आकर्षित करती सबको
भूल जाते सब उसके काले रंग को
मीठा राग है जिंदगी भी
बस तुम्‍हें हर बार इसे
भूलकर मुश्किलों को
गुनगुनाना होगा पलकों पे
इक नया ख्‍वाब बुनकर
उसे लम्‍हा-लम्‍हा सजाना होगा !!!

गुरुवार, 2 मई 2013

सारी ख्‍़वाहिशों की बोलती बंद !!!!















कभी कुछ होता है कहने को
पर जाने क्‍यूँ
मौन उतर आता है
बड़ी ही तेजी से धड़धड़ाते हुए
सब दुबक कर बैठ जाते हैं
सारी ख्‍़वाहिशों की बोलती बंद
अरमान अपना कमरा बंद करते हैं तो
पलकें बंद होकर लाइट ऑफ  !
....
नहीं समझ आता मुझे
मौन का कभी यूँ सभी को सताना
जहाँ सब डरे-सहम से रहते हैं
कौन पहल करे
कौन उस मुस्‍कान को खींच कर लाए
जो गायब है बिना बताये किसी को
हँसी ने तो एक लम्‍बी छुट्टी भी मार दी
ठहाका गया तो लौटा ही नहीं
सब उसी को ढूँढते फिर रहे थे
ऊपर से यह मौन की साधना
जिसे देख कर सब
मन ही मन कुढ़ से रहे थे !!
....
हाँ एक मुखौटा भी दिखा था
किसी को आते देख
पहन लेते किसी को पता ही नहीं चलता
ये मुस्‍कान नकली है
हँसी छुट्टी पर है
सबका काम तो चल ही रहा था
पर तुम ही सोचो
क्‍या काम चलने का नाम जिंदगी है ?
कहीं सुना था मैने
हँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
तो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्‍कराहटों को इसके नाम कर दें !!!
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