बुधवार, 8 अगस्त 2012

हालातों के बीच अपनी जिंदादिली ...

दम तोड़ते हुए उन ख्‍वाबों को तुमने दफ़ना तो दिया होगा,
दफ़न करके फिर उनको सर अपना झुका तो दिया होगा ।

कोशिशों का चऱाग हवाओं की जिद में भी जल रहा था जो,
हवाओं की जिद़ से तुमने उसे वाकि़फ करा तो दिया होगा ।

झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।

सौदेबाज़ी का हुऩर आता नहीं सीखने की कोशिश में चला हूँ,
घर से बेसब़ब ही 'सदा' ये तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

49 टिप्‍पणियां:

  1. कभी हालात कभी वक्त की समझाईश ने मुझे जिन्दा रखा
    खूबसूरत और कटु सत्य पंक्ति
    इस रचना की सराहना करती हूँ

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  2. कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
    हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।

    सभी शेर उम्दा …………सत्य को कहती सुन्दर रचना

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  3. बहुत बढ़िया |
    कोल माइंस से-

    डेवी का यह लैम्प है, सेफ्टी पिन के साथ |
    इनट्रिंकसिक्ली सेफ है, रखें सुरक्षित हाथ |
    रखें सुरक्षित हाथ, नहीं तूफानों का डर |
    भरी पड़ी मीथेन, इसी से कांपे रविकर |
    भर जीवन संघर्ष, माइनिंग करते जाएँ |
    अक्षय उर्जा भण्डार, सदा उपलब्ध कराएँ ||

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  4. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    इन पंक्तियों में जो कहा है वह बेमिसाल है. बहुत सुंदर लिखा अपने.

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  5. वाह....
    बहुत बढ़िया....
    सच्ची बहुत प्यारे शेर कहे हैं.....
    दाद हाजिर है मोहतरमा :-)
    सस्नेह
    अनु

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. बहुत बढ़िया
    सभी शेर लाजवाब है..
    बेहतरीन रचना...
    :-)

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  8. कोशिशों का चऱाग हवाओं की जिद में भी जल रहा था जो,
    हवाओं की जिद़ से तुमने उसे वाकि़फ करा तो दिया होगा ।
    Ekse badhke ek ashaar!

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  9. सौदेबाज़ी का हुऩर आता नहीं सीखने की कोशिश में चला हूँ,
    घर से बेसब़ब ही 'सदा' ये तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    waah !!!

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  10. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    बहुत सुंदर.................

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  11. आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  12. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    आपकी भावनाओं को प्रणाम .

    खुबसूरत अंदाज़े बयाँ

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  13. सौदेबाज़ी का हुऩर आता नहीं सीखने की कोशिश में चला हूँ,
    घर से बेसब़ब ही 'सदा' ये तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    बहुत अच्छा !

    सीख जाओ तो हम भी सीखेंगे !!

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  14. कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
    हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।
    ..बहुत बढ़िया रचना

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  15. कल 10/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  16. कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
    हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।...वाह

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  17. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।
    वैसे तो पूरी ग़जल ही शानदार है पर ये शेर तो कमाल का है

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  18. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।

    बेहतरीन और लाजवाब है ग़ज़ल।

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  19. दम तोड़ते हुए उन ख्‍वाबों को तुमने दफ़ना तो दिया होगा,
    दफ़न करके फिर उनको सर अपना झुका तो दिया होगा ।

    बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल.

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  20. कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
    हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।
    वाह......लाजवाब...

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  21. बहुत अच्छी प्रस्तुति! मेरे नए पोस्ट "छाते का सफरनामा" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

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  22. बहुत ही सुंदर !
    १ पंक्ति याद आ गयी...
    सदमातों ने ज़िंदा रक्खा है हमें कुछ इस क़दर..
    वरना हम तो कब के खुद को दफ़ना चुके थे.......
    ~सादर!!!

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  23. हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।
    वाह......लाजवाब...

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  24. Hi,

    I am looking for a featured post and the link from homepage of your blog for
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    जवाब देंहटाएं
  25. सीमा जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'सदा' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 11 अगस्त को 'हालातों के बीच अपनी जिंदादिली...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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  26. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ।
    ........लाजवाब !!!

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  27. कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा,
    हालातों के बीच अपनी जिंदादिली को बतला तो दिया होगा ।

    जिंदगी दिंदादिली का नाम है । सुंदर प्रस्तुति ।

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  28. निःशब्द कर दिया आपने .
    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारें , अपनी प्रतिक्रिया दें , आभारी होऊंगा .

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  29. "कभी हालात कभी वक्‍़त की समझाइश ने मुझे जिंदा रखा..."
    जिंदगी की हकीकत बयान करने वाले शब्द |
    किसी ने कहा है,"कभी सर्दी कभी गर्मी ये तो कुदरत के नजारे है,
    प्यासे वे भी रह जाते है जो दरिया किनारे है |"

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  30. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा ...

    बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ... आनद आ गया ...

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  31. शुभ प्रभात सदा बहन
    आज मै यहाँ लाई गई हूँ दीप्ति बहन द्वारा
    आकर पता चला कि इस ग़ज़ल का पहली पाठिका मैं हूँ

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  32. आज 13/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  33. झुक जाना कभी किसी की खुशी के लिए गुनाह तो नहीं है,
    जीने का ये अनूठा सबब तुमने उसे बतला तो दिया होगा । खूब लिखा है बधाई

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  34. अपने आप में एक सच्चाई लिए हुए हर एक शेर लाजवाब है सदा जी बहुत खूब...

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