बंद पलकों में
आपकी स्नेहमयी
छाया उभरती है
समर्पित है इस पितृपक्ष में
मेरी हथेलियों का जल
आपको मां - पापा
सजल नयनों से मैने
आपकी पसन्द का
भोजन पकाया है
जिसका कुछ अंश
गाय ने कुछ कौवे ने
कुछ श्रेष्ठ जन ने पाया है ....
ये तर्पण मेरा
आपके नाम का
समर्पित है इस श्राद्ध में
श्रद्धा से विश्वास से
आप जहां भी होंगे
इसे ग्रहण करेंगे
भावनाएं किसकी हैं ये
कर्म किसने किया
बेटी को ही तो
आप बेटा कहते आए हैं
मत सोचना ऐसा कुछ पल भर भी
आशीष देना बस इतनी
मैं सदा रहूं ऐसे ही ...
मन वचन कर्म की
विरासत लेकर ....!!!
बहुत लाज़वाब...सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंपितृपक्ष पर अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंपितरों को स्मरण करने का अच्छा पर्व पितृपक्ष पर अच्छी रचना बहुत अच्छा लिखा है आनन्द आ गया ... हर पक्ष समेट लिया आपने बधाई रचना के लिये आपको ।
जवाब देंहटाएंआशीष देना बस इतनी
जवाब देंहटाएंमैं सदा रहूं ऐसे ही ...
मन वचन कर्म की
विरासत लेकर ....!!!
हम निभाएं फ़र्ज़ अपना
समय पर अच्छा सन्देश। धन्यवाद।
sarthak abhivaykti....
जवाब देंहटाएंवाह ………यही होता है असली तर्पण्।
जवाब देंहटाएंआपको आपके बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता रहे बस यही कामना है
जवाब देंहटाएंसुंदर भावना के साथ लिखा आलेख और खूबसूरत प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमन और श्रद्धा से किया गया तर्पण ..माँ और पिता को और क्या चाहिए ... सुन्दर और भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंAapkee rachana padhke aankh bhar aayee.
जवाब देंहटाएंहमसभी को बुजुर्गों का आशीर्वाद यों ही मिलता रहे ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
बहुत ही खुबसूरत कविता पितृपक्ष पर .
जवाब देंहटाएंअपने श्रद्धेयों को इससे खूबसूरत तोहफा क्या होगा जो आपने अपने शब्दों में कहा है...
जवाब देंहटाएंहमारा भी प्रणाम उनको शत-शत..
आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है
VAAH....KAVITA RUPI TARPAN PAR HAMARA ABHAAR SWEEKAAR KAREN AAP.....
जवाब देंहटाएंमाँ और पिता को और क्या चाहिए ........भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंmata pita se mili virasat ko kitne pyar aur shraddha se nibhaya aapne.
जवाब देंहटाएंshraddey.
सुंदर भावना के साथ सार्थक प्रस्तुति यही है सच्चा तर्पण...
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो कभी आएगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
मनसा,वाचा,कर्मणा की विरासत अक्षुण्ण रहे.
जवाब देंहटाएंपित्र पक्ष में सच्चा तर्पण किया है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पोस्ट...........माता पिता का क़र्ज़ तो कभी नहीं चुकता पर श्रद्धा बनी बनी रहे यही बहुत है..........बहुत सुन्दर|
जवाब देंहटाएंye to unke prati prem hai...
जवाब देंहटाएंshraddha hai...
tarpan/shraaddh sirf apne shraddhaa-suman arpan karne ka bahana hai... aapke suman bhee bahut hi khoobsoorat hai... abhaar...
आच्छी लगी आपकी ये बातें और यह विचार।
जवाब देंहटाएंआशीष देना बस इतनी
जवाब देंहटाएंमैं सदा रहूं ऐसे ही ...
मन वचन कर्म की
विरासत लेकर ....!!!
खुबसूरत कविता पितृपक्ष पर. बधाई.
पितरों का स्मरण.... सार्थक भावपूर्ण सामयिक रचना..
जवाब देंहटाएंसादर...
वाह! बेटी के इस तर्पण भाव से यह बेटा भी प्रभावित हुआ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक प्रसंग।दिल को
जवाब देंहटाएंछूनेवाली।धन्यवाद।
isse mahatwpurn tarpan nahin ho sakta .... shraddha, pyaar sabkuch hai
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना.
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