कोई खिलौना चाबी वाला
अगर मैं होता तो
कैसा होता
जब मन करता किसी का
मुझको चलाता
जब मन होता कोने में मुझको रख देते,
तुम ये मत करो,
वो मत करो
बाहर मत जाओ छोटे हो अभी,
कभी कहते हैं
इतने बड़े हो गये फिर भी
हर समय शैतानी करते रहते हो
सब आफिस जाते हैं
मम्मी हो या पापा
मैं अकेला आया के साथ
रहता हूं घर पर
टीवी पर कार्टून भी नहीं देखने देती वो मुझको
खुद देखती है
भूख लगती है तो बस एप्पल दे देती है
या गंदा लगने वाला दूध
मुझको पीना पड़ता है ....
क्या मैं भी जल्दी से बड़ा हो सकता हूं
बड़ा होकर फिर
मैं भी आफिस जा सकता हूं .....।
आदरणीय सदा जी..
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
कोई खिलौना चाबी वाला
अगर मैं होता तो
कैसा होता
जब मन करता किसी का
मुझको चलाता
जब मन होता कोने में मुझको रख देते,
...............बिलकुल सही कहा है फिर तो मन मर्जी से कम किया जाता !
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसादर
बाल मन के भावों का सुन्दर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसही है भाई ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी रचना तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
office jane ke baad pata chalega ... kya achha tha
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल मन के भाव हैं सदा जी ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ......!!
खुबसुरत बाल कविता ...मानो बचपन याद आ गया ...
जवाब देंहटाएंबच्चों मनोभावों को बख़ूबी बयान करती शानदार पोस्ट|
जवाब देंहटाएंबचपन पर भय, उपेक्षा और असंतोष का कितना बोझ रहता है उसे आपकी कविता बखूबी ब्यान करती है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar ,sahi likha hai aapne
जवाब देंहटाएंखिलौना होना ज्यादा बेहतर ..मगर किसी को कोई खिलौना ना बना डाले... आपकी कविता बहुत सुन्दर और एक अलग विषय पर ..उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बाल-अभिलाषा पर सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबाल मनोभावों पर सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंbalman ka sunder chitran..............
जवाब देंहटाएंbacche ko khabar nahi ki tamaam umr use chabi wale khilone ki tarah hi bane rahna hai aur bade hoker bhi jimmedariyon ka vehan karna hai.
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti.
bahut hi sundar bhav hai...
जवाब देंहटाएंक्या मैं भी जल्दी से बड़ा हो सकता हूं
जवाब देंहटाएंबड़ा होकर फिर
मैं भी आफिस जा सकता हूं .....।
बाल-मन की भावनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति .......
इस कविता के साथ या तो चित्र होता ही नहीं, या फिर कोई भारतीय चित्र होता तो कितना अच्छा रहता।
जवाब देंहटाएंबाल-मन की मासूम भावनाओं की प्यारी-प्यारी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबच्चा सोचता है,कब बड़ा हो जाऊँ , बड़े सोचते हैं-काश फिर से छोटा हो जाऊँ.बाल-मन की सुंदर कल्पना को शब्द दिये हैं,बधाई.
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