मंगलवार, 28 जून 2011

गीता का सत्‍य ....















तुम
जानते हो,
न्‍याय का मंदिर
हमारे देश का कानून
आज भी गीता की शपथ
लेकर सच कहने को कहता है
उसे विश्‍वास है
श्री कृष्‍ण ने
अन्‍याय नहीं किया था
कौरवों के साथ
न्‍याय था उनकी नजरों में
पांडवों का साथ देना
अपने पराये का पाठ
गीता का सत्‍य के रूप में
स्‍थापित होना
झूठ की अनगिनत
दलीलों के बीच
सच कहना ... सच सुनना
सच को साबित करना
हर रिश्‍ते से ऊपर
इंसाफ की दुहाई देना
न्‍याय और सिर्फ न्‍याय करना
गीता की शपथ देना
गुनहगार हो या निर्दोष
कर्म की प्रधानता बता
सत्‍य कहना ... सत्‍य सुनना ...।।

28 टिप्‍पणियां:

  1. man ke darpan si prastuti....bahut khub
    man ki halchal ko darshati hui si

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  2. अज अन्धी आँखों का इन्साफ है तभी तो आँखें मूँद कर शपथ ली जाती है। पता नही उस पुस्तक मे गीता के स्थान पर कोई और पुस्तक न रख दी जाती हो। आखिर भ्रष्टाचार कहाँ नही?
    सुन्दर रचना।

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  3. पंक्तियों का तारतम्य बेहतरीन बहाव लिए हुए ---


    आँख मूंद कर परम्पराएँ निभाई जा रही हैं |



    सच्चा सच बोलेगा

    और झूठा -----



    कसम खाकर भी सच बोलेगा इंसान --

    क्या गारंटी ?

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  4. उसे विश्वास है कि कृष्ण
    ने अन्याय नहीं किया था --

    लेकिन हम -----------||

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  5. अच्छी प्रस्तुति ..कई विचारणीय बिंदु छोड़ गयी ...गीता के सत्य के साथ ही मन में प्रश्न उठ रहा है महाभारत के सत्य का ..

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  6. सत्य कहना....सत्य सुनना.... अदालतों में ज़रूर होता होगा लेकिन यह पता नहीं चलता कि सत्य किसके साथ है और लाभ किसे मिला.

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  7. bahut hi gahri baat hai, saarthak tathya hain , geeta per haath rakhnewale aksar duryodhan kee taraf hote hain bhishm pitamah kee tarah

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  8. अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  9. बेहद उद्देलित करती रचना , अन्दर तक कही कोने में बैठे अहसासों को छूने का प्रयास प्रसंसनीय है बधाई

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  10. बहुत अच्छी लगी यह कविता.

    सादर

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  11. सच है गीता में अक्षरतः सत्य है ... इस कमाल की कविता में गहरी बात कह दी है आपने ..

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  12. सत्य सत्य और सत्य शब्द का वास्तविक अर्थ आज खोजना है ...

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  13. न्याय के लिए सत्य कहना और सुनना दोनों आवश्यक है.

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  14. बेहद खुबसुरत रचना। लेकिन क्या आज वास्तव में ऐसा होता है। लोग तो अब उसकी कसम झुठ बोलने के लिए ही खाते है।

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  15. सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...

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  16. सत्य कहेंगे, सत्य सुनेंगे,
    संभव होगा, न्याय करेंगे।

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  17. सत्य को प्रतिबिम्बित करती सुन्दर रचना...

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  18. सत्य और असत्य के बीच में भी बहुत कुछ होता है जैसे काले और सफ़ेद के बीच में सलेटी ...

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  19. बहुत सुंदर ...सच के भाव लिए गहन अभिव्यक्ति...

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  20. झूठे और मक्कार लोगों को कोई भी कसम खिला दीजिये क्या फर्क पड़ता है

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  21. कर्म की प्रधानता बताती सुंदर कविता.

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  22. गहन अभिव्यक्ति...
    कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी

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  23. करीब 15 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  24. बहुत बढ़िया लगा! उम्दा प्रस्तुती!

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