गुरुवार, 12 मई 2011

ये खामोशी नहीं ....

पूछा मैने खामोशी से,

तुम यूं ही चुपचाप सी क्‍या सोचती हो

वो बोली मैं सिर्फ दिखने में

खामोश रहती हूं ......

मेरी बोली सुनता मेरा अन्‍तर्मन

पढ़ता है गुजरे पलों को

संजोता है वो

उन यादों को

जिनसे मैं बेहद प्‍यार करती हूं

संवार लेती हूं

यदा-कदा आहत मन को भी

कभी फटकार भी देती हूं इसे

जब यह विचलित होता है

मैं उन्‍हें भी समझती हूं

जो मुझसे प्‍यार करते हैं

और खामोश रहकर

उन्‍हें भी देखती हूं

जो मुझसे ईर्ष्‍या भाव रखते हैं

मेरी सफलता पर

ताने कसते हैं ....

तुम्‍हें घुटन नहीं होती ...?

इस तरह खामोशी के साथ

एक मुस्‍कान लाई लबों पर वो

फिर बोली

अरे यह तो मेरा सम्‍बल है

वर्ना मैं तो

कब की अस्तित्‍वहीन

हो चुकी होती

इसने मुझे शब्‍दों के हथियार दिये

जीने के लिये हौसला दिया

ये खामोशी नहीं ...

मेरी बोली है ...

जिसे हर कोई नहीं समझ पाता

और मुझसे अपनी सफाई में

सबसे हर वक्‍त कुछ

कहा भी नहीं जाता .... !!

30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह खामोशी को जुबां दे दी।

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  2. per kai baar sochti hun kya hua jo ise bhi samjha use bhi samjha ... apne hisse to khamoshi hai n

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  3. ख़ामोशी की 'सदा' सुनना बहुत अच्छा लगा.आपके शब्दों के हथियार धारदार हैं ,जो गहराई तक वार करते हैं.
    बहुत बहुत आभार शानदार प्रस्तुति के लिए.

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  4. बहुत बहुत आभार शानदार प्रस्तुति के लिए|

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  5. खामोशी को भी शब्द दे दिए आपने.
    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.

    सादर

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  6. khamoshee ko aapne shavd de mukhrit kar diya.......
    aabhar

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  7. मौन को अंतर्मन ही सुनता है ...खूबसूरत रचना

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  8. मौन को अंतर्मन ही सुनता है कबी कभी मौन बहुत मुखर हो जाता है ...

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  9. ये खमोशी नहीं मेरी बोली है....


    बहुत सुंदर ....

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  10. मौन जब कुछ कहता है तो कुहराम भी सुनने को आतुर हो जाता है

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  11. ख़ामोशी के हज़ार रंग , सदा जी के संग . मब अह्वलादित हुआ .

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  12. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी आज के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  13. बेहद उम्दा प्रस्तुति………खामोशी को आवाज़ दे दी।

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  14. बहुत प्रभावित करती रचना |बधाई
    आशा

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  15. वाह ! जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !

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  16. जिसे हर कोई नहीं समझ पाता

    और मुझसे अपनी सफाई में

    सबसे हर वक्‍त कुछ

    कहा भी नहीं जाता .... !!

    खामोशी बहुत कुछ कहती है ..

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  17. ख़ामोशी की 'सदा' सुन दिल हुआ निहाल जी.
    बहुत बहुत आभार खामोशी को आवाज देने के लिए.

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  18. ख़ामोशी भी कुछ कहती है, आपने बढ़िया लिखा .

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  19. prabhaavshali shabdoN ke maadhyam se
    khaamoshi ko
    khoobsurat aawaaz de di aapne

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  20. ख़ामोशी कि ये अदा हमें प्यारी लगी
    बिन बोले जो लाठी चली वो न्यारी लगी

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  21. सच है क्लहामोशी की अपनी ज़ुबान होती है ... लाजवाब रचना ...

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  22. बहुत प्रभावित करती रचना| बधाई|

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  23. आपकी उत्साह भरी टिप्पणी और हौसला अफजाही के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने ! बहुत खूबसूरती से ख़ामोशी का वर्णन किया है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!

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  24. प्रभावशाली रचना! शुभकामनायें आपको ! !

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