बुधवार, 18 नवंबर 2009

देवता पे चढ़ाया न जाएगा ...

कल वो बच्‍चा था बहल गया था बातों से

आज उसकी सोच को बहलाया न जाएगा ।

कलियां खिलने से पहले मुर्झा गई हैं अब,

यूं इनको किसी देवता पे चढ़ाया न जाएगा

मेरे जज्‍बातों की कदर थी उसको तभी तो,

कहा उसने मुंह मोड़ के यूं जाया न जाएगा ।

दफ्न जाने थे कितने राज उसके सीने में,

हर राज यूं सरेआम बतलाया न जाएगा ।

नफरतो के साये में बीता है हर दिन मेरा,

नगमा वफा का मुझसे गाया न जाएगा ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. नफरतो के साये में बीता है हर दिन मेरा,

    नगमा वफा का मुझसे गाया न जाएगा .....

    bahut hi sunder panktiyan....

    behtareen shabdon ke saath bahut hi sunder rachna....

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  2. बहुत ख़ूबसूरत भाव सदा जी ,
    खैर, कलियों को चिंतित होने की जरुरत भी नहीं क्योंकि देवता बचे ही नहीं है, जिधर देख बस असुर ही असुर है !

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  3. नफरतो के साये में बीता है हर दिन मेरा,
    नगमा वफा का मुझसे गाया न जाएगा .....

    lajawaab panktiyan .... vafa kr nagme pyaar ke chalte hi gaaye ja sakte hain ....

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  4. कल वो बच्‍चा था बहल गया था बातों से
    आज उसकी सोच को बहलाया न जाएगा ।

    नफरतो के साये में बीता है हर दिन मेरा,
    नगमा वफा का मुझसे गाया न जाएगा

    वाह । बहुत खूब कहा है ।

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  5. मेरे जज्‍बातों की कदर थी उसको तभी तो,

    कहा उसने मुंह मोड़ के यूं जाया न जाएगा ।

    चलिये जज्बातो की कद्र तो है
    बहुत सुन्दर कलाम

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  6. कलियां खिलने से पहले मुर्झा गई हैं अब,

    यूं इनको किसी देवता पे चढ़ाया न जाएगा ।

    नफरतो के साये में बीता है हर दिन मेरा,
    नगमा वफा का मुझसे गाया न जाएगा
    वाह बहुत सुन्दर रचना है बधाई

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  7. सदा जी,

    अशआरों में बड़ी खूबसूरती से बात कही है।

    अच्ची गज़ल कही है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  8. मेरे जज्‍बातों की कदर थी उसको तभी तो,

    कहा उसने मुंह मोड़ के यूं जाया न जाएगा ।

    बहुत सुन्दर गज़ल है.बधाई.

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  9. मेरे जज्‍बातों की कदर थी उसको तभी तो,
    कहा उसने मुंह मोड़ के यूं जाया न जाएगा ।

    बहुत खूब।

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