मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

किसी के कदमों तले .....

(1)

टूटा जब

पत्‍ता डाली से,

लिपट के रोया

माली से,

सांस अन्तिम

उसने ली

फिर न लौट पाया

डाली पे ।

सूखा पड़ा रहा

धरा में

कभी रौंदा गया

किसी के कदमों तले

कसक उठता मन

कुछ बचा था अंश

उसे उठा ले गई

एक दिन पवन

(2)

टूटकर गिरी

बिजलियां उस पर,

जो अंधेरे में

छुपकर बैठा था

उन्‍हें कुछ भी

न हुआ

जो तकते थे

गगन !

16 टिप्‍पणियां:

  1. टूटकर गिरी बिजलियां उस पर,
    जो अंधेरे में छुपकर बैठा था
    उन्‍हें कुछ भी न हुआ
    जो तकते थे गगन !
    बहुत बढ़िया ...
    सूखे पत्ते की व्यथा कथा भी खूब अभिव्यक्त हो गयी है कविता में ..!!

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  2. बेहद भावपुर्ण रचना .......अतिसुन्दर!

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  3. दोनों शब्द-चित्रों को
    आपने अपने शब्दों की माला में
    करीने से पिरोया है।

    बधाई!

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  4. बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण शब्दचित्रो ने दिल को छू लिया.

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  5. डाल से पत्ते का टूटना यह एक बहुत बड़ा दुख है ।

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  6. क्या खूब कहा आपने दिल को छू लेने वाली कविता

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  7. यही नियति है.
    फिर भी अंहकार है की कम ही नहीं होता, मानवता है की विलुप्त होती जा रही है.....

    सुन्दर छोटी पर गहन भावों से लबालब.

    हार्दिक बधाई.

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  8. कभी रौंदा गया
    किसी के कदमों तले
    कसक उठता मन
    कुछ बचा था अंश
    उसे उठा ले गई
    एक दिन पवन

    सदा जी सुंदर रचना ....!!

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  9. sada ji
    namakar .

    aapki ye kavita padhi. aapki abhivyakti bahut sudar ban padhi hai.. patte aur insaan me koi jyda fark nahi hai ...ise hi niyati kahte hai. aapki kavita dil ko choo gayi

    meri badhai sweekar kare..

    dhanywad

    vijay
    www.poemofvijay.blogspot.com

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  10. पत्‍ता डाली से,

    लिपट के रोया

    माली से,

    सांस अन्तिम

    उसने ली

    फिर न लौट पाया

    डाली पे ।
    टूटते पत्ते की व्यथा बहुत ही मार्मिकता से निभाया है इसे शब्दों मे दोनो रचनायेम बहुत अच्छी हैं शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  11. टूटा जब

    पत्‍ता डाली से,

    लिपट के रोया

    माली से,


    सांस अन्तिम

    उसने ली

    फिर न लौट पाया

    डाली पे ।

    in panktiyon ne to dil ko chhoo liya..........


    baht sundar kavita.......... apne aap mein sampoorna hai..........

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  12. एक घरौंदा जो बनाया था, बरसात में बह गया

    isey dekh kar bataiyega.........plz

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  13. रचना काबिले तारीफ़ है, शुभकामनाएं|

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