पर्व है ये
मातृ भाषा की उन्नति का
मन से मन को मिलाती
करती परिक्रमा
अंतर्मन की
सृजित होती,
उर्जित करती कर को
मन की करता चल
रुक मत तू आगे ही आगे
बढ़ता चल !
…
जाने कितने रंग समेटे
उत्सव का दिन
लेकर आई हिंदी
उल्लासित हैं
सब मिल-जुल,
स्वर-व्यंजन भी
हुए अलंकृत
नये-नये प्रतिमानों से,
मन के द्वार
सजी रंगोली
मंगल कलश
सजा कर कमलों में
करती हूँ अभिनन्दन तेरा
हिंदी, लगाकर तुझको
रोली चन्दन मैं !!
…
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपके इस सुन्दर अभिनंदन के साथ । अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंजी, स्नेहिल आभार
हटाएंहिंदी दिवस पर सुंदर उद्गार ! वाकई एक भाषा को यदि हम दिल से स्नेह करते हैं तो उसका पर्व मनाना ही चाहिए
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत सुंदर अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंमातृ भाषा की उन्नति का मन से मन को मिलाती करती परिक्रमा अंतर्मन की सृजित होती, उर्जित करती कर को मन की करता चल रुक मत तू आगे ही आगे बढ़ता चल !
जवाब देंहटाएंसीमा जी वाह क्या बात है। बहुत सूंदर लिखा है आपने। इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। Zee Talwara
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंbadi hi sunder post likhi hai thanks,
जवाब देंहटाएंZee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव हैं, हमेशा की तरह बहुत बढ़िया, बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता
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