तब्दीलियों की
बड़ी भूख हैं जिंदगी में
हैरान हूँ इसकी खुराक
हर रोज़ बढ़ जाती है
हज़म करना मुश्किल है
फिर भी कितना कुछ
पचाना पड़ता है
कई दफ़ा घूँट-घूँट
बहते आँसुओं के साथ !
…
पापा, दिन, महीने
बीते बरस के
हर लम्हे ने मुझे आपके साथ
नहीं होने पर भी
हमेशा आपके साथ रखा
हर बार असंभव को
संभव किया
और कहा है मैंने
मुस्कराते हुए
जिसके सर पर अपनों का
हाथ होता है वो
इस बहते खारे पानी को
फिल्टर करते हुये