गुरुवार, 22 अगस्त 2019

बड़ी भूख है जिंदगी में !!!

तब्दीलियों की
बड़ी भूख हैं जिंदगी में
हैरान हूँ इसकी खुराक
हर रोज़ बढ़ जाती है
हज़म करना मुश्किल है
फिर भी कितना कुछ
पचाना पड़ता है
कई दफ़ा घूँट-घूँट
बहते आँसुओं के साथ !
पापा, दिन, महीने
बीते बरस के
हर लम्हे ने मुझे आपके साथ
नहीं होने पर भी
हमेशा आपके साथ रखा
हर बार असंभव को
संभव किया
और कहा है मैंने
मुस्कराते हुए
जिसके सर पर अपनों का
हाथ होता है वो
इस बहते खारे पानी को
फिल्टर करते हुये
मुश्किलों में भी मुस्करा ही लेते हैं!!!


शनिवार, 3 अगस्त 2019

दोस्त एक हो पर सच्चा हो !!!

तेरी बातों के गोलगप्पे
आज भी
मेरी ज़बान का ज़ायका
बदल देते हैं
खिलखिलाते लम्हों के बीच
वो मुस्कराती चटनी इमली की
अपनी यादों में
आज भी शामिल है
सच ही तो कहा करती थी माँ
दोस्त एक हो पर सच्चा हो
उम्रदराज़ भले हो जाओ
पर रहो ऐसे कि
जैसे कोई बच्चा हो !!
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