(1)
मन कितनी भी
कसरत क्यूँ न कर ले
पर तेरी यादों का वज़न
कम होने का नाम ही नहीं लेता !
(2)
तेरी यादों से परहेज़ तो नहीं है
पर सुना है
हद से ज़्यादा किसी चीज़ का
इस्तेमाल सेहत के लिये
अच्छा नहीं होता ☺️
....
-- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित है .... अनीता सैनी
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02 -06-2019) को "वाकयात कुछ ऐसे " (चर्चा अंक- 3354) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंवाह ! उम्दा दलील
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयादों का वजन..
जवाब देंहटाएंवाह!
वाह.बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सीमा जी अलहदा से प्रतीक।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
कसरत से यादों का वजन कम नही होता ..वाह एकदम नयी उपमा ..
जवाब देंहटाएंरचना का शीर्षक पूरी रचना पर छाया हुआ है
जवाब देंहटाएंवाह.बहुत खूब
जवाब देंहटाएं