कड़वे शब्द
कठिन समय में
बस मरहम होते हैं
जख्मो की ज़बान होती
तो वो चीखते शोर मचाते
आक्रमण करते
मरहम के साये में दर्द नम होकर
यूँ पसीज हिचकियाँ ना लेते !!!!
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छलनी होती रूह पे
घड़ी दो घड़ी की तसल्ली
वाले शब्दों से
कुछ हुआ है ना कभी होगा
गुनाहों की शक्ल
बदलने के वास्ते
रूहों का लिबास बदलना होगा !!!
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