हँसती थी जब भी जिंदगी
खुशियों के मेले में
फ़िक्र, परेशानी, और
उदासियों के
गुब्बारे उड़ा कर
तालियाँ बजाकर
कोई मन बच्चा हो जाना चाहता था !
....
रंग जिंदगी के
सारे तुझसे हैं
ये मुहब्बत
बस उन अहसासों के
नाम अलग हैं !!
पर भी होगी। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया
हटाएंये एहसास ही जिंदगी हैं ... बच्चा हो जाना ही जिंदगी है ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका ... सादर
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-12-2017) को
जवाब देंहटाएं"रंग जिंदगी के" (चर्चा अंक-2818)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार ...
हटाएंसुन्दर !
जवाब देंहटाएंआभार
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