शनिवार, 28 जून 2014

बचाती हैं व्‍यक्तित्‍व को !!!!

कुछ रचनाएँ जन्‍म लेती हैं और
क़ैद होकर रह जाती हैं
डायरी के पन्‍नों में
उनके मर्म उनके अर्थों को
नहीं जान पाता कोई.
...
कितनी पीड़ा कितनी नसीहतों
को उकेरा था उजले पन्‍नों पर
इस काली स्‍याही ने
बड़े-बड़े इरादो को
समेटा था कुछ पंक्तियों में
और पहुँचाया था उन्‍हें बुलंदियों पर
कभी किसी यक़ीन के
टूटने पर उसके टुकड़ों की चुभन से
बचाया था तुम्‍हें
कतरा-कतरा बहने से पहले
दिया था हौसला भी जब
संभाला था खुद को तुमने
बिखरने से पहले.
....
रचनाओं में
जब बिखर जाते हैं शब्‍द
तब कई बार ये बचाती हैं
व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से
सहेजती है अक्षरश:
दिखाते हुए उम्‍मीदों का आईना
रू-ब-रू होते हैं एहसास जहाँ
जिंदगी के रंगमंच पर
अपने संकल्‍पों के साथ 
बारी-बारी!!!!



18 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्र है कि ब्लॉग हैं...डायरी के शब्द भले कोई न पढ़ पाये...पर यहाँ रचनाओं को सुधि पाठकों की कमी नहीं है...

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  2. जब बिखर जाते हैं शब्‍द
    तब कई बार ये बचाती हैं
    व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से
    100 % सच्ची बात
    हर्दिक शुभकामना कामनाये

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  3. रचनाओं के बिखरे अव्यवस्थित शब्द मन मस्तिष्क और व्यक्तित्व को व्यवस्थित कर देते हैं . गुबार निकल जाना शब्दों के माध्यम से उचित ही होता है , ये शब्द शिक्षक ही हो गए जैसे !
    बहुत बढ़िया लिखा आपने !

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन हुनर की कीमत - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (29-06-2014) को ''अभिव्यक्ति आप की'' ''बातें मेरे मन की'' (चर्चा मंच 1659) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  6. जब बिखर जाते हैं शब्‍द
    तब कई बार ये बचाती हैं
    व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से
    सहेजती है अक्षरश:
    दिखाते हुए उम्‍मीदों का आईना
    ...बिल्कुल सच..बहुत ख़ूबसूरत रचना...

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  7. सही कहा है...विचारों से ही जीवन बनते बिगड़ते हैं और विचार शब्दों की ही उपज हैं..

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  8. ब्लॉग बुलेटिन का आभार जिस कारण यहाँ आना हो पाया... सौ फ़ीसदी सच है कि शब्द हमारे वजूद को बिखरने से बचाते हैं... खूबसूरत रचना

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  9. रचनाओं में
    जब बिखर जाते हैं शब्‍द
    तब कई बार ये बचाती हैं
    व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से

    ऐसा कई बार होते हुए देखा है मैंने
    सुन्दर रचना के लिए बधाई

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  10. शब्द रचनाओं में बिखर कर मायने लेने कगते हैं ...
    बहुत ही सुन्दर रचना ...

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  11. सच लिखा ....कितना कुछ समेटते हैं शब्द |

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  12. रचनाओं में
    जब बिखर जाते हैं शब्‍द
    तब कई बार ये बचाती हैं
    व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से
    ...बिल्कुल सच...बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति...

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  13. सच है, रचना में बिखरे शब्द रचयिता के व्यक्तित्व को बिखरने से बचा लेते है. वरना अनकही पीड़ा से इंसान टूट जाता है... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई.

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