गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!

मेरी खामोशियों को देख
शब्‍द आपस में कानाफूसी करते हैं इन दिनो
अपने-अपने क़यास लगाते
जुबां कुछ कहने को तैयार नहीं
मन अपनी धुन में
हर वक्‍़त शून्‍य में विचरता
आखिर वज़ह क्‍या है ??
...
बहुत सोचने पर
एक जवाब आता कहीं भीतर से
हो रहा है कुछ ऐसा
जो नहीं होना चाहिए था
घट रहा है कुछ ऐसा जिसे नहीं घटना था
बस ये चुप्‍पी उस घटित के होने की है
जैसे कोई शांत जल में मारता कंकड
मच जाती एक उथल-पुथल चारों ओर
भंग हो जाती जैसे कोई समाधि
क्षण भर ... मात्र क्षण भर को ही होता ऐसा
फिर झांकती खामोशी मेरी आँखों में
....
कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
इस खामोशी में !!!!!
तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
जब कभी जलते हैं सपने
ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!

31 टिप्‍पणियां:

  1. मच जाती एक उथल-पुथल चारों ओर
    भंग हो जाती जैसे कोई समाधि
    क्षण भर ... मात्र क्षण भर को ही होता ऐसा
    फिर झांकती खामोशी मेरी आँखों में ......superb .....

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  2. उत्कृष्ट ...बहुत सुंदर सुकून देती रचना ....

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  3. wahhh....sis..तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    behad umda Rachna ...Badhai..!!

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  4. कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
    टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
    इस खामोशी में !!!!!

    बस यही हाल है।

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  5. खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है ..
    वाकई..
    बहुत अच्छी रचना सदा...
    सस्नेह
    अनु

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  6. बहुत सोचने पर
    एक जवाब आता कहीं भीतर से
    हो रहा है कुछ ऐसा
    ------------------
    बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. दीदी आस पास घटित घटनाएं जब मन को व्यथित करती हैं तो ऐसा हाल होता है, आपने भावनाओं का बहुत सुन्दर वर्णन किया है बधाई स्वीकारें.

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  8. तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
    जब कभी जलते हैं सपने
    ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
    आज सब की यही स्थति है ,क्या कहूँ इस रचना पर ................

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  9. आँखों का यह खारा पानी कितने शब्द दे जाता है, इन खामोशियों को शायद उसे जो सुन सका वही जान सका... गंभीर भाव... शुभकामनायें

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  10. खामोशियों की भी अपनी ज़ुबान होती है ..जो मौन रहकर भी बहुत कुछ कह जाती हैं ..
    जैसे आप की ये रचना !

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2012) के चर्चा मंच-११०७ (आओ नूतन वर्ष मनायें) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  12. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .

    मेरी खामोशियों को देख
    शब्‍द आपस में कानाफूसी करते हैं इन दिनो इन दिनों ......
    अपने-अपने क़यास लगाते
    जुबां कुछ कहने को तैयार नहीं
    मन अपनी धुन में
    हर वक्‍़त शून्‍य में विचरता
    आखिर वज़ह क्‍या है ??

    आग लगी है साऱी कायनात को इन दिनों ....

    बड़ी ही मौजू रचना है भाव और शब्दों की लयात्मक ताल लिए .

    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का

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  13. बस ये चुप्‍पी उस घटित के होने की है
    जैसे कोई शांत जल में मारता कंकड

    बिलकुल ठीक व्यक्त किया है. अबकी बार तो लगता है इन पापियों ने पहाड़ ही फेंक दिया है. बहुत सुन्दर लगे भाव.

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  14. kuchh toot jane ka swar kewal apna man hee to sunta hai...behad achhe rachana!

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  15. सच ... आज कल कुछ ऐसा ही हो रहा है .... खामोश हैं पर मन मेन न जाने कितना तूफान है .... बहुत भाव पूर्ण रचना

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  16. कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
    टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
    इस खामोशी में !!!!!
    --------------------------
    भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाईबहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,

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  17. तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
    जब कभी जलते हैं सपने
    ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
    मौन ही होता जहाँ अभिषेक

    ....उत्कृष्ट अहसास और उनकी अभिव्यक्ति...

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  18. बहुत कुछ बोलती हैं ये खामोशियाँ....~खूबसूरत रचना सदा जी !
    ~सादर!!!

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  19. उम्दा भावपूर्ण रचना ।
    मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है ।
    ख्वाब क्या अपनाओगे ?

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  20. कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
    टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
    इस खामोशी में !!!!!
    तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
    जब कभी जलते हैं सपने
    ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
    मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!

    आपने मौन के रुदन से आंसूं निकाल सचमुच अभिषेक कर दिया

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  21. सब मौन, कुछ शासित सा, कुछ शापित सा।

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत सोचने पर
    एक जवाब आता कहीं भीतर से
    हो रहा है कुछ ऐसा
    जो नहीं होना चाहिए था
    घट रहा है कुछ ऐसा जिसे नहीं घटना था
    बस ये चुप्‍पी उस घटित के होने की है
    जैसे कोई शांत जल में मारता कंकड
    मच जाती एक उथल-पुथल चारों ओर
    भंग हो जाती जैसे कोई समाधि
    क्षण भर ... मात्र क्षण भर को ही होता ऐसा
    फिर झांकती खामोशी मेरी आँखों में ... अद्भुत एहसास

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  23. कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
    टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
    इस खामोशी में !!!!!
    ............बेहद अद्भुत एहसास सदा दी

    @ संजय भास्कर

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  24. मौन ...बवंडर समेटे विचारों का ...बहुत सुन्दर रचना

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  25. तुम्‍हें पता है खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
    जब कभी जलते हैं सपने
    ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
    मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!

    सुंदर प्रस्तुति...हमेशा की तरह।।।

    जवाब देंहटाएं
  26. कुछ टूटा दिखाई नहीं देता फिर भी
    टूटने का स्‍वर कहीं है अन्‍तर्मन में ही
    इस खामोशी में !!!!!

    खूबसूरत अहसास.

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  27. सच है की ऐसा बहुत कुछ जो आस-पास होता रहता है पर कई बार दिखाई नहीं देता ... पर मन को उदास कर जाता है अनायास ही ...

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  28. जब कभी जलते हैं सपने
    ये चुपके से ले आती खारा पानी आँखों में
    मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!

    बहुत बढ़िया लिखा है

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