बुधवार, 5 सितंबर 2012

कुछ रिश्‍ते ... (1)














कुछ रिश्‍तों में कुछ भी तय नहीं होता
फिर भी वे समर्पित होते हैं एक दूसरे के लिए
बिना कुछ पाने या खोने की अभिलाषा लिए
...
कुछ रिश्‍ते रूहानी होते हैं
जिनकी हर बात साझा होती है
खुशी हो या ग़म
दर्द हो या बहते आंसू
...
कुछ रिश्‍ते अपाहिज़ होते हैं
वे बिना बैसाखियों के दो कदम भी
नहीं चल पाते
फिर वे बैसाखियां
रक्‍़त की हों या सम्‍बंधों की
...
कुछ रिश्‍ते कड़वे होते हैं
कितनी भी मिठास लाओ
बातों से, दिखावे से, या अपनेपन से
उनका कड़वापन किसी भी
नमक से नहीं जाता
....
कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
निभाने का मन करता है
बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
उन रिश्‍तों में
अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
बस होता है एक विश्‍वास
सम्‍मान और समर्पण
....

34 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
    उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण ............bahut sundar ...

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  2. बहुत खूबसूरत सदा जी............

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  3. रिश्तों की यह बानगी, करे प्रभावित देह |
    आत्मीय लूला कटुक, पाकीजा हो नेह |
    पाकीजा हो नेह, मिले बिन खर्चे कौड़ी |
    जरा नहीं संदेह, करे है छाती चौड़ी |
    पर रविकर दुश्वार, यार का प्यार पराया |
    दुनिया लंगी मार, गिराए नश्वर काया ||

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  4. यह रिश्ते ही हर पल साथ निभाते है ... :)

    शिक्षक दिवस पर विशेष - तीन ताकतों को समझने का सबक - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  5. अहा!
    हर तरह के रिश्तों का अनुभव ...
    कुछ रिश्‍ते कड़वे होते हैं
    कितनी भी मिठास लाओ
    बातों से, दिखावे से, या अपनेपन से
    उनका कड़वापन किसी भी
    नमक से नहीं जाता . ऐसे एक या दो रिश्ते होते हैं जो सब पर भारी पड़ते हैं.

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  6. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
    उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण
    .... sahi hai

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  7. रिश्तों क अच्छा खासा विश्लेषण .... बहुत सुंदर भाव

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  8. बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण,,,,

    बहुत बढ़िया बेहतरीन रचना के लिये बधाई,,,,
    RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,

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  9. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
    उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण

    बहुत खूबसूरत विश्लेषण

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  10. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
    उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण....बिलकुल सही कहा आपने और मेरी नज़र में ऐसे केवल दो ही रिश्ते होते हैं जिनमें यह भावना निहित होती है। पहला...दोस्ती, और दूसरा शिक्षक और शिष्य का रिश्ता जो आज की दुनिया में अब देखने को नहीं मिलता। क्यूंकि अब न वैसे गुरु रहे और ना हीं वैसे शिष्य...किन्तु फिर भी आज के शुभ दिन अपने गुरु जानो को याद करके आपको शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें देना ज़रूर चाहती हूँ । :-)

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  11. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह

    ...सच है ये ही रिश्ते बन जाते हैं जीने का आधार...रिश्तों के विभिन्न रूपों का बहुत सटीक चित्रण..

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  12. सच है कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो हमारे जीने का आधार बन जाते है....बहुत सार्थक रचना..

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  13. सदा जी बिलकुल सत्य कहा है आपने, कुछ रिश्ते बिलकुल ऐसी ही होते हैं.

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  14. कुछ ऐसे भी रिश्ते होते हैं
    जो मन में
    अवसाद की
    चादर लपेटे रहते हैं।
    और बाहर छल से
    भरा स्नेह....
    कहाँ समझ पाते हैं हम
    हम तो रिश्तों की डोर मे उलझे रहते हैं
    और सहमे रहते हैं की डोर
    टूट ना जाये
    क्यूँ टूटी डोर मे
    गांठ लगानी पड़ेगी

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  15. कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह
    उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण

    यही रिश्ते जनम जनम के होते हैं

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  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!
    अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  17. हम भी रिश्तों को किश्तों किश्तों समझ रहा हूँ..

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  18. ठीक कहा...खूब कहा !
    कुछ रिश्तों में ,कुछ भी तय नही होता !!!!
    खुश रहो!

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  19. संबंधों की पवित्रता ही उनकी शक्ति और ऊर्जा होती है जो अनंत समय तक चलती है. बहुत खूब.

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  20. कुछ रिश्‍ते अपाहिज़ होते हैं
    वे बिना बैसाखियों के दो कदम भी
    नहीं चल पाते
    फिर वे बैसाखियां
    रक्‍़त की हों या सम्‍बंधों की ....बहुत सुंदर प्रस्‍तुति

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  21. उन रिश्‍तों में
    अपने-पराये जैसा कुछ भी नहीं होता
    बस होता है एक विश्‍वास
    सम्‍मान और समर्पण

    Bahut Sunder Arthpoorn.....

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  22. rishton ke dhaage bauhat acche se bune hain....
    कुछ रिश्‍ते अपाहिज़ होते हैं
    वे बिना बैसाखियों के दो कदम भी
    नहीं चल पाते
    फिर वे बैसाखियां
    रक्‍़त की हों या सम्‍बंधों की

    कुछ रिश्‍ते प़ाकीज़ा होते हैं
    जिन्‍हें बस किसी भी क़ीमत पर
    निभाने का मन करता है
    बिल्‍कुल जिंदगी की तरह ...bauhat acche!!

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  23. रिश्ते मन से निभाए जाते हैं फिर चाहे वे खून के हों या बनाए गए |हर रिश्ते को निभाने के लिए जज्बे की और ईमानदारी की आवशुकता होती है |अच्छी प्रस्तुति |
    आशा

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  24. ये रिश्ते बस ऐसे ही होते हैं... रूहानी एहसास लिए....

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  25. रिश्ते होतें हैं विश्वास ,
    होते एक बड़ी सौगात ,बताते सबकी ये औकात ,......नहीं है जिनका कोई नाम ,बढाते वही प्रेम विश्वास , न दो रिश्तों कोई नाम ...बढ़िया प्रस्तुति तदानिभूति कराती नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

    आधी दुनिया के लिए सम्पूरण -पूरी तरह स्वस्थ रहे आधी दुनिया इसके लिए ज़रूरी है देहयष्टि की बस थोड़ी ज्यादा निगरानी ,रखरखाव की ओर थोड़ा सा ध्यान और .बस पुष्टिकर तत्वों को नजर अंदाज़ न करें .सुखी स्वस्थ परिवार के लिए इन खुराकी सम्पूरकों पर थोड़ा गौर कर लें:


    रविकर फैजाबादी
    चुस्त धुरी परिवार की, पर सब कुछ मत वार |
    देहयष्टि का ध्यान कर, सेहत घर-संसार |
    सेहत घर-संसार, स्वस्थ जब खुद न होगी |
    सन्तति पति घरबार, भला हों कहाँ निरोगी ?
    संरचना मजबूत, हाजमा ठीक राखिये |
    सक्रिय रहे दिमाग, पदारथ सकल चाखिये ||

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  26. बहुत खूब
    जहाँ तय होता है
    वहाँ बाजार होता है
    रिश्ता खरीदने को
    कोई तैयार होता है
    जहाँ तय नहीं होता
    वहाँ जरूर कुछ होता है
    वो क्या होता है
    पर रिश्ता नहीं होता है !

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  27. कहा ही गया है रिश्ते होने से नहीं मानने से होते है अक्सर अपरिभाषित ही होते है जो सबसे मजबूत होते हैं

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  28. रिश्ते मन से होते है रिश्तों में मन नही तो औपचारिक हो जाते हैं । बहुत भावभीनी प्रस्तुति ।

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  29. अलग अलग रिश्ते और अलग अलग परिभाषा.....बहुत सुन्दर पोस्ट।

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