गुरुवार, 5 जुलाई 2012

यह दुआ है तुम्‍हारे लिए ....!!!


















किसी योद्धा सी तुम कमजोर विचारों को
मन से झटकते हुए आगे बढ़ती
करती सवाल खुद से
आस्‍थाओं का मान रखना
सबका ह्रदय में सम्‍मान रखना
पर फिर क्‍यूँ
जीवित न अपना स्‍वाभिमान रखना

कर्तव्‍य का रक्‍त धमनियों में
नितांत वेग से बहता हरदम
मैं करती हूँ, कर लूगीं, तुम फिक्र मत करो
हौसले की परछाईं बनकर
समर्पित खुद को करना
मुश्किलें कैसी भी आईं
त्‍याग की पहली सीढ़ी पर कदम
खुद का रखने में पहल करना
वक्‍़त की कसौटियों पर
हँसकर खुद को परखना
बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
खुद ख्‍यालों के बिस्‍तर पे  करवट बदलना
तुम्‍हारा देखा है मैने
...
आस्‍थाओं का मान रखना
सबका ह्रदय में सम्‍मान रखना
पर फिर क्‍यूँ
जीवित न अपना स्‍वाभिमान रखना
इस बात से सहमत हूँ शत-प्रति-शत
कुछ रहे न रहे
तुम्‍हारा यह हौसला और यह स्‍वाभिमान सदा रहे
यह दुआ है तुम्‍हारे लिए... !!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. वक्‍़त की कसौटियों पर
    हँसकर खुद को परखना
    बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
    खुद ख्‍यालों के बिस्‍तर पे करवट बदलना
    तुम्‍हारा देखा है मैंने

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .... किसी की हर बात का खयाल रख दुआ देना ...बहुत खूब

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  2. बहुत सुन्दर.....मन से की गयी दुआ कबूल होती है...
    सस्नेह

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  3. स्वाभिमान सम्मान,ही जीवित रहने की अदा
    इस बात से सहमत हूँ, शत- प्रति-शत सदा,,,,,,

    MY RECENT POST...:चाय....

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  4. बहुत सुन्दर .. हर दुआ कबूल हो..

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  5. बहुत सुंदर रचना


    आस्‍थाओं का मान रखना
    सबका ह्रदय में सम्‍मान रखना

    ये अपेक्षा तो हर किसी से की जानी चाहिए।

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  6. बहुत अच्छी कविता दी!बेह्द उम्दा और गहन अभिव्यक्ति

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  7. बहुत ही सुंदर एवं सार्थक अभिव्यक्ति आभार.... हर दुआ कुबूल हो...

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति |
    बधाई सदा जी ||

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  9. बहुत ही सुन्दर रचना .बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  10. त्‍याग की पहली सीढ़ी पर कदम
    खुद का रखने में पहल करना
    वक्‍़त की कसौटियों पर
    हँसकर खुद को परखना
    बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
    खुद ख्‍यालों के बिस्‍तर पे करवट बदलना
    तुम्‍हारा देखा है मैने


    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, खुद नारी होकर जब नारी के त्याग और दायित्वों की सूली पर चढ़ा हुआ देखते हैं तो गर्व होता है लेकिन उसकी सराहना अगर सिर्फ हमने की तो क्या? उसके इस स्वरूप को सबको सराहना होगा तभी उसके तपस्या सार्थक होगी.

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  11. वक्‍़त की कसौटियों पर
    हँसकर खुद को परखना
    बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
    खुद ख्‍यालों के बिस्‍तर पे करवट बदलना
    तुम्‍हारा देखा है मैने

    फिर तो दुआ मांगना भी चाहिए..... सुंदर लिखा है...

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  12. हौसला ही तो आगे बढाता है जीवन में, हमारी क्षमता को निखारता है । दुआ कबूल हो, आमीन ।

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  13. जीवन में मान और सम्मान का बहुत बड़ा महत्व है, वहीं अभिमान का परित्याग भी उतना ही ज़रूरी है।

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  14. दुआ कबूल हो...आमीन।

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  15. सदा जी आपका ईमेल आईडी चाहिए
    कृपा मेल करें : deepak.mystical@gmail.com

    आभार

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  16. मेरी प्यारी लाडली कभी शिकायत की मौका नहीं देती ! फिर इससे नफरत क्यों ? समाज को हजार बार सोंचना होगा ! सुन्दर कविता !

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  17. हतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

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  18. स्त्री के स्वाभिमान की जंग का सटीक वर्णन. 'मैं करती हूँ, मैं कर लूँगी' जैसे विश्वास के बाद फिर एक कमज़ोर विचार से जंग. बहुत सुंदर रचना है.

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  19. मैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....

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  20. मैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....

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  21. मैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....

    जवाब देंहटाएं
  22. आस्‍थाओं का मान रखना
    सबका ह्रदय में सम्‍मान रखना..

    क्या बात !

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